21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मधु कांकरिया को मिलेगा श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको सम्मान, मन की बेचैनी को आवाज दी, खुशी है उसे स्वीकृति मिली

भूमंडलीकरण के बाद से किसानों की हालत खराब है. वे आत्महत्या कर रहे हैं, तो इसकी वजह सरकारी नीतियां हैं. सूखे की मार तो वे पहले भी झेल रहे थे, लेकिन अब वे बेबस हैं. मैं मराठवाड़ा गयी थी और वहां देखा किसान किस तरह जी रहे हैं. उनकी समस्याएं क्या हैं?

उर्वरक क्षेत्र की अग्रणी सहकारी संस्था इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफ्को) ने वर्ष 2023 के ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य’ सम्मान के लिए कथाकार मधु कांकरिया के नाम की घोषणा की है. पुरस्कार की घोषणा होने पर प्रभात खबर के साथ खास बातचीत में मधु कांकरिया ने कहा कि जब पुरस्कार की घोषणा होती है तो खुशी होती है. इस बात का संतोष होता है कि आपके लेखन को स्वीकृति मिली.

बेबस है देश का किसान

भूमंडलीकरण के बाद से किसानों की हालत खराब है. वे आत्महत्या कर रहे हैं, तो इसकी वजह सरकारी नीतियां हैं. सूखे की मार तो वे पहले भी झेल रहे थे, लेकिन अब वे बेबस हैं. मैं मराठवाड़ा गयी थी और वहां देखा किसान किस तरह जी रहे हैं. उनकी समस्याएं क्या हैं? सरकार चाहती है कि किसान खेती छोड़ दें ताकि काॅरपोरेट फाॅर्मिंग हो. किसान का नाता अपनी जमीन से टूट रहा है और वे मजदूर बन रहे हैं. स्थिति इतनी खराब है कि किसानों को मरने के बाद भी सद्‌गति नहीं मिल रही है. मैं जब वहां गयी, तो देखा सच्चाई क्या है. लेकिन यह सच्चाई कभी सामने नहीं आती. टीवी पर तमाम खबरें चलती हैं, लेकिन किसानों की समस्या पर कोई नहीं बोलता. उनकी समस्याएं कभी मुख्यधारा में नजर नहीं आतीं और ना उनपर चर्चा होती है. इन सब चीजों को देखकर मेरे मन में बहुत बेचैनी होती है और वही सारी चीजें कलम के जरिए कागजों पर उतर जाती हैं.

लेखक सच लिखने का रास्ता निकाल लेता है

आज स्थिति यह है कि हर संस्था बिक चुकी है. आप किस पर भरोसा करेंगे? इन हालात में लेखक को परेशानी होती है, आखिर वो सच कैसे लिखे. पर हम लिखते हैं, रास्ता निकालते हैं. कोई व्यंग्य लिखता है, कोई नाम नहीं लिखता पर लिखते हैं लेखक. मैं तो सीधे लिखती हूं, जिसपर कई लोगों को आपत्ति होती है. पर मेरे अंदर हालात को देखकर जो बेचैनी होती है, उसे मैं रोक नहीं पाती हूं. अब अगर उन चीजों को स्वीकृति मिलती है, तो निश्चत तौर पर अच्छा महसूस होता है.

मधु कांकरिया का जन्म कोलकाता में हुआ

मधु कांकरिया हिन्दी साहित्य की प्रतिष्ठित लेखिका हैं. इनका जन्म 23 मार्च 1957 को कोलकाता में हुआ है. मधु कांकरिया ने सात उपन्यास और 12 कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. इनकी रचनाओं में विचार और संवेदना की नवीनता तथा समाज में व्याप्त समस्याएं प्रमुखता से नजर आती हैं. इन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम° ए° की शिक्षा प्राप्त की तथा कोलकाता से ही कम्प्यूटर एप्लीकेशन में डिप्लोमा किया है. इनकी प्रमुख रचनाएं हैं -चिड़िया ऐसे मरती है, काली चील, फाइल,उसे बुद्ध ने काटा, भरी दोपहरी के अँधेरे, खुले गगन के लाल सितारे, सूखते चिनार, सलाम आखिरी, पत्ताखोर, सेज पर संस्कृत.

2011 से दिया जा रहा है सम्मान

गौरतलब है कि मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में इस पुरस्कार की शुरुआत हुई थी. यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष ऐसे हिंदी लेखक को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में मुख्यतः ग्रामीण व कृषि जीवन का चित्रण किया गया हो. इससे पहले यह सम्मान विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथिलेश्वर, अष्टभुजा शुक्ल, कमलाकांत त्रिपाठी, रामदेव धुरंधर, रामधारी सिंह दिवाकर, महेश कटारे, रणेंद्र, शिवमूर्ति और जयनंदन को दिया जा चुका है. मधु कांकरिया को यह सम्मान 30 सितंबर को नई दिल्ली में दिया जायेगा. उन्हें एक प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिह्न और 11 लाख रुपये का चेक प्रदान किया जाएगा.

Also Read: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा-क्या जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर कोई समय सीमा तय है?

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें