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Madhya Pradesh News: बीजेपी संसदीय बोर्ड से शिवराज सिंह की छुट्टी के क्या हैं सियासी मायने

Madhya Pradesh News: मिशन 2024 के मद्देनजर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ ही मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान की भी संसदीय बोर्ड से छुट्टी कर दी है. जिसको लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरम है.

Madhya Pradesh News: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी संसदीय बोर्ड में बड़ा फेरबदल किया गया है. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ ही मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान की भी संसदीय बोर्ड से छुट्टी कर दी है. पार्टी के इन दोनों प्रमुख नेताओं को केंद्रीय चुनाव समिति से बाहर कर किए जाने के फैसले को लेकर सियासी चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है.

विपक्ष के नेता ने दी ये प्रतिक्रिया

शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी पैनल से बाहर निकाले जाने के फैसले को मध्य प्रदेश में बड़े सियासी बदलाव के लिए स्पष्ट संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. सीएम शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी के शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय से बाहर किए जाने के फैसले को मध्य प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों से सीधे जोड़ कर देखा जा रहा है. मध्य प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस के गोविंद सिंह ने कहा कि हम सोचते थे कि वह 2023 के बाद केंद्र में चले जाएंगे, लेकिन अब पार्टी उन्हें प्रमुख पदों पर रखने के मूड में नहीं है.

बीजेपी का दावा, चिंता की कोई बात नहीं

वहीं, राज्य के बीजेपी नेताओं का दावा है कि उनके लिए चिंता की कोई बात नहीं है. बीजेपी प्रवक्ता दिव्या गुप्ता ने कहा कि क्या बीजेपी संसदीय बोर्ड में कोई और मुख्यमंत्री है? नहीं. अगर, कोई अन्य सीएम शामिल होता तो उन्हें चिंता करने की कोई बात होती. इधर, कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार भ्रष्ट है, इसलिए अस्थिर है. कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने शिवराज चौहान के लिए एक स्पष्ट संकेत दिया है. कांग्रेसी नेता गोविंद सिंह ने कहा कि बीजेपी को लगता है कि पार्टी में ऐसे कई नेता हैं, जो अब उनकी जगह ले सकते हैं. बता दें कि शिवराज सिंह चौहान अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में से एक प्रमुख चेहरा है.

पीएम पद की रेस में शिवराज का भी नाम?

राजनीति के जानकारों की मानें तो बीजेपी बोर्ड में अपनी जगह गंवाने वाले दोनों नेताओं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज चौहान को 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी के पीएम उम्मीदवार की दौड़ में नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक दावेदार के रूप में पेश किया गया था. 2012 में बीजेपी की एक बैठक में, जब लालकृष्ण आडवाणी ने शिवराज सिंह चौहान के काम की प्रशंसा की, तो इसे नरेंद्र मोदी को नीचा दिखाने के प्रयास के रूप में देखा गया, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे. वहीं, 2013 में नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान को एक साथ बोर्ड में शामिल किया गया था. ताजा फेरबदल में छह नए चेहरों के साथ इसके सदस्यों की संख्या सात से बढ़कर ग्यारह हो गई है.

बीजेपी बोर्ड में नए सदस्यों में सत्यनारायण जटिया शामिल

बीजेपी बोर्ड में नए सदस्यों में मध्य प्रदेश के सत्यनारायण जटिया शामिल हैं. 2005 में जब शिवराज चौहान को मध्य प्रदेश की राजनीति में पूर्णकालिक रूप से प्रतिनियुक्त किया गया था, तो उन्होंने सत्यनारायण जटिया को राज्य इकाई के अध्यक्ष के रूप में बदल दिया था. बीजेपी विधायक गणेश सिंह ने कहा कि पार्टी अलग-अलग समय पर सभी को अलग-अलग जिम्मेदारियां देती है. उन्हें अपना समय मध्य प्रदेश में बिताना चाहिए. मुझे लगता है कि पार्टी ने यह निर्णय इसी विचार को ध्यान में रखकर लिया है.

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