भोपाल : बासमती चावल के जीआई टैग को लेकर पंजाब और मध्यप्रदेश आमने सामने है. इस मामले को लेकर अब राजनीति बढ़ती जा रही है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए लिखा है पंजाब के मुख्यमंत्री नहीं चाहते कि मध्यप्रदेश को बासमती चावल का GI टैग मिले.कमलनाथ जी यदि किसानों के हितैषी हैं, तो पंजाब के मुख्यमंत्री से अपनी मांग वापस लेने के लिए क्यों नहीं आग्रह करते ?
शिवराज इसी कड़ी के दूसरे ट्वीट में लिखते हैं, किसानों से उनके कल्याण का वादा करने और उस वादे पर अमल करने में बहुत अंतर होता है! कमलनाथ जी, हर विषय पर राजनीति करनी चाहिये, लेकिन नीति पहले होनी चाहिए. नियत के खोटे लोग अपनी असफलता छुपाने के लिए हमेशा दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं .
Also Read: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र का उद्धाटन करेंगे
कांग्रेस झूठ पर झूठ बोले जा रही है, APEDA की सुनवाई के समय कांग्रेस सरकार द्वारा वकील ही नहीं भेजे जाते थे. बासमती चावल के जीआई टैग को लेकर दो राज्य आमने सामने है. पंजाब में कांग्रेस की सरकार है जो नहीं चाहती मध्यप्रदेश को जीआई टैग मिले. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलकर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एमपी में उत्पादित बासमती चावल को जीआई टैग देने की मांग की थी.
शिवराज ने इस संबंध में कागजात भी कृषि मंत्री को थे. मध्यप्रदेश की इस मांग पर पंजाब ऐतराज करता रहा है. पंजाब के मुख्यमंत्री इस मामले पर तर्क दे रहे हैं कि जीआई टैग के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस पूरे मामले पर केंद्र सरकार को चिट्टी लिखी कहा, अगर जीआई टैंगिग व्यवस्था से छेड़छाड़ हुई तो इससे भारतीय बासमती के बाजार को काफी नुकसान पहुंचेगा जिसका फायदा पाकिस्तान को मिल सकता है. इस मामले पर राजनीति बढ़ी तो कमलनाथ भी निशाने पर आये.
इस पूरे मामले पर उन्होंने कहा कि यह गलत है कि मैं मध्यप्रदेश की बासमती के जीआई टैग के पक्ष में नहीं हूं. मैं और मेरी सरकार सदैव से इसकी पक्षधर रही है और मैं आज भी इस बात का पक्षधर हूं कि यह हमें ही मिलना चाहिए. बासमती चावल को जीआई टैग मिले, इसकी शुरुआत ऐपिडा ने नवंबर 2008 में की थी. कमलनाथ के इस ट्वीट पर ही आज प्रतिक्रिया दी है.
साल 1999 में रिजस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स तैयार किया गया. इसके तहत पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य को दे दिया जाता है.इसके तहत बनारसी साड़ी, मैसूर सिल्क, कोल्हापुरी चप्पल, दार्जिलिंग चाय जैसे प्रोड्कट शामिल हैं. इस टैग के मिलने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी मांग बढ़ जाती है.
Posted By – Pankaj Kumar Pathak