Mahakumbh 2025 Video : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 को लेकर तैयारी जारी है. यहां पहुंचे ‘रुद्राक्ष वाले बाबा’ गीतानंद गिरि चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा,” यह मेरी 12 वर्षों की तपस्या है. ‘रुद्राक्ष’ भगवान शिव को प्रिय है. मैंने इलाहाबाद अर्ध कुंभ मेले से इसकी शुरुआत की थी. इसका समापन आगामी अर्ध कुंभ मेले में होगा. अभी 6 वर्ष और शेष हैं. मैंने तब से इसकी शुरुआत की थी जब इसका वजन 11 किलो था. आज इसका वजन 45 किलो हो चुका है. मैंने 1.25 लाख ‘रुद्राक्ष’ की प्रतिज्ञा ली थी- जो 925 मालाओं में आते हैं. मेरी ‘तपस्या’ राष्ट्र और सनातन के हित में है.” देखें वीडियो
महाकुंभ 2025 क्यों खास है?
2025 का महाकुंभ प्रयागराज में आयोजित किया जा रहा है. यह केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं के लिए यह आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और खगोलीय महत्व रखता है. इस आयोजन में शामिल होकर भक्त न केवल अपने पापों को धोते हैं, बल्कि मोक्ष की ओर अग्रसर होने की कल्पना करते हैं.
महाकुंभ मेला कितने दिनों में लगता है?
महाकुंभ मेला हर 144 साल में लगता है. इसका स्थान सिर्फ प्रयागराज होता है. 12 पूर्णकुंभों के बाद आयोजित यह मेला एक ऐतिहासिक और दुर्लभ धार्मिक आयोजन होता है. इसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं. इसे सबसे भव्य धार्मिक पर्व हिंदू धर्म के लोग मानते हैं.
कुंभ मेला कितने दिनों में लगता है?
कुंभ मेला हर 12 साल में लगता है. इसका स्थान चारों पवित्र स्थल (हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक) होता है. खगोलीय स्थिति की बात करें तो जब सूर्य, चंद्रमा और गुरु (बृहस्पति) विशेष खगोलीय स्थिति में होते हैं तो इसका आयोजन किया जाता है. इस समय इन स्थानों की नदियों (गंगा, क्षिप्रा, गोदावरी और संगम) का जल बेहद पवित्र माना जाता है.
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