Maharashtra Elections: राज्य की सभी 288 विधानसभा सीट पर एक ही दिन 20 नवंबर को मतदान होगा, जबकि मतगणना 23 नवंबर को होगी. चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और कई केंद्रीय मंत्रियों समेत प्रमुख नेताओं ने अपने-अपने दलों के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया.
4136 उम्मीदवारों के भाग्य का होगा फैसला
साल 2019 के राज्य विधानसभा चुनावों की तुलना में इस बार उम्मीदवारों की संख्या में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस साल 4,136 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि 2019 में यह संख्या 3,239 थी. इन उम्मीदवारों में 2,086 निर्दलीय हैं. 150 से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में बागी उम्मीदवार मैदान में हैं. ये बागी उम्मीदवार महायुति और एमवीए के आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.
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महाराष्ट्र में इस बार बनाए गए 100186 मतदान केंद्र
पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 9,63,69,410 हो गई है, जो 2019 में 8,94,46,211 थी. महाराष्ट्र में इस बार 1,00,186 मतदान केंद्र होंगे, जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में 96,654 मतदान केंद्र थे. मतदाताओं की संख्या में वृद्धि के कारण मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाई गई है. राज्य सरकार के करीब छह लाख कर्मचारी चुनाव ड्यूटी पर तैनात होंगे.
महायुति को उम्मीद सत्ता बचाने में होंगे कामयाब
बीजपी, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गठबंधन ‘महायुति’ को सत्ता बचाने की पूरी उम्मीद है. माझी लाडकी बहिन जैसी लोकप्रिय योजनाओं के दम पर महायुति सत्ता बरकरार रखने की उम्मीद कर रहा है.
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महाराष्ट्र में बंटेंगे तो कटेंगे नारे पर जमकर राजनीति
भाजपा के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ जैसे नारों को लेकर विपक्षी दलों ने महायुति पर धार्मिक आधार पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया. कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) के गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और प्रधानमंत्री मोदी के ‘एक हैं तो सेफ हैं’ नारे की आलोचना की. भाजपा के कुछ सहयोगियों ने भी इन नारों का समर्थन नहीं किया.
अजित पवार ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ से खुद किया अलग
अजित पवार ने खुद को ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे से अलग कर लिया. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नारों का मतलब स्पष्ट करने का प्रयास किया, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई.
एमवीए ने कई मुद्दों को लेकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश की
एमवीए ने जाति आधारित जनगणना, सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके सत्तारूढ़ गठबंधन के विमर्श का मुकाबला किया. विपक्ष का लक्ष्य उन मतदाताओं से अपील करना था जो सरकार की तरफ से उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.