मणिपुर हिंसा : सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आज सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मणिपुर में शांति व्यवस्था कायम करना प्राथमिकता है. प्रदेश में 315 राहत शिविर बनाय गये हैं जहां पीड़ितों को रखा जा रहा है. इस शिविरों की व्यवस्था पुलिस और सीएपीएफ देख रही है. केंद्र ने उक्त बातें स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करते हुए कहा. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार से राज्य में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा पर एक नयी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है, साथ ही मामले की अगली सुनवाई जुलाई के पहले हफ्ते में तय की है.
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगायी जाये, हाईकोर्ट ने मणिपुर सरकार से अनुसूचित जनजाति सूची में मैतेई समुदाय को शामिल करने की सिफारिश करने पर विचार करने के लिए कहा था.
साॅलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने अबतक राहत कार्यों के लिए 3 करोड़ की राशि जारी की है. लगभग 46 हजार लोगों को अबतक मदद दी जा चुकी है. केंद्र और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर हिंसा के बाद की स्थिति की जानकारी दी और बताया कि स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है. राज्य की सीमा पर कुछ मुद्दे थे, जिनका समाधान करने की कोशिश हो रही है ताकि राज्य में शांति बनाकर रखी जाये.
गौरतलब है कि मणिपुर में वहां के मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए थे, जिसमें 60 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. हिंसक प्रदर्शन के बाद प्रदेश में कर्फ्यू लगाना पड़ा था, जिसके बाद हालत काबू में किये जा सके. स्थिति बिगड़ने पर सरकार ने उपद्रवियों को देखते हुए गोली मारने का आदेश जारी किया था.
स्थिति बिगड़ने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मसले को मानवीय संकट बताते हुए कहा कि राज्य और केंद्र सरकार से राहत शिविरों में जरूरी इंतजाम करने को कहा था. साथ ही स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था. ज्ञात हो कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में छात्रों के संगठन ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर मार्च आयोजित किया था, जिसके बाद हिंसा भड़क गयी थी. मैतेई समुदाय के लोग भी सड़क पर उतरने लगे थे जिसके बाद धारा 144 लगायी गयी थी.