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Matiala Vidhan Sabha: प्रत्याशियों ने चुनाव को बनाया रोमांचक

अब चुनाव में सब कुछ बदल गया है. लोग कई हिस्सों में बंट चुके हैं. यहां मंदिर-मस्जिद का नारा भी चल रहा है, तो फ्री में सब कुछ देने का वादा भी. कोई भी मतदाता अपने प्रतिनिधि से यह नहीं पूछ रहा है कि उसकी सड़क खराब क्यों है, गलियों में पानी क्यों लगता है और शुद्ध पेयजल की समस्या का हल कब तक किया जायेगा.

Matiala Vidhan Sabha: पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. पूर्वांचली नेता महाबल मिश्रा इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं. अब महाबल मिश्रा आम आदमी पार्टी में शामिल हो चुके हैं और उनके बेटे विनय मिश्रा आप के विधायक है और एक बार फिर चुनावी मैदान में है. अब इस लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है. इस लोकसभा क्षेत्र के तहत आता है मटियाला विधान सभा क्षेत्र. इस विधानसभा क्षेत्र में द्वारका, मटियाला, उत्तम नगर, नजफगढ़ क्षेत्र का भी हिस्सा है. जिसमें द्वारका सब सिटी का एक बड़ा हिस्सा शामिल है. साल 2008 में गठित इस सीट पर पहली बार कांग्रेस के सुमेश शौकीन ने जीत दर्ज की थी. 2013 में भाजपा के राजेश गहलोत विधायक बने.

वहीं 2015 के चुनाव में आम आदमी पार्टी के गुलाब सिंह विधायक बने. 2020 में भी वे चुनाव जीतने में कामयाब रहे. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के राजेश गहलोत को हराया था.आप ने कांग्रेस छोड़कर आए सोमेश शौकीन को टिकट दिया है. भाजपा ने भी राजेश गहलोत की जगह संदीप सहरावत पर भरोसा जताया है तो कांग्रेस के प्रत्याशी रघुविंदर शौकीन है.

 
मिश्रित विधानसभा वाला क्षेत्र

इस बार आप और भाजपा दोनों ने अपने-अपने प्रत्याशियों को बदल दिया है. इससे विधानसभा क्षेत्र में कुछ लोग नाराज हैं, तो कुछ इसे अच्छा भी मान रहे हैं. लोगों को मानना है कि नये प्रत्याशियों के आने से क्षेत्र का भला होता है और प्रत्याशियों को भी पता चलता है कि काम न करने पर उन्हें बदला जा सकता है या फिर उनकी जगह पर किसी और दूसरे काे मौका दिया जा सकता है. हालांकि चुनाव में किस प्रत्याशी को जनता चुनती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा. यह विधानसभा हरियाणा की सीमा से लगा हुआ है. इसको मिश्रित विधानसभा भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें रेगुलराइज कॉलोनी से लेकर अनधिकृत कॉलोनी भी शामिल है.

साथ ही कुछ गांव भी इस विधानसभा में शामिल है. शहर और गांव के वोटरों का मिश्रण इस विधानसभा क्षेत्र में है. एक ओर मटियाला जैसी घनी आबादी वाली कॉलोनियां भी है, तो दूसरी ओर द्वारका सेक्टर- 12, 14, 13, 19, द्वारका मोड़, नवादा, मटियाला गांव, मनसा राम पार्क, सहयोग विहार, द्वारका सेक्टर-3, द्वारका सेक्टर-3 का जेजे क्लस्टर, कांकरोला गांव, भरत विहार, राणा जी एनक्लेव आदि शामिल है.


चुनावी मुद्दों में गौण मुख्य मुद्दा

इस क्षेत्र में मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है. हर पार्टी एक दूसरे पर आरोप लगा रही है. कोई भाजपा को दोष दे रहा है, तो कोई कांग्रेस या आप को. लेकिन मुख्य मुद्दे गायब हो गये हैं. रमेश शौकीन कहते हैं, पहले इस क्षेत्र के लोग सामूहिक फैसला लेकर वोट देते थे, लेकिन पिछले चुनाव से सब कुछ बदल गया है. लोग कई हिस्सों में बंट चुके हैं. यहां मंदिर-मस्जिद का नारा भी चल रहा है, तो फ्री में सब कुछ देने का वादा भी. कोई भी मतदाता अपने प्रतिनिधि से यह नहीं पूछ रहा है कि उसकी सड़क खराब क्यों है, गलियों में पानी क्यों लगता है, और शुद्ध पेयजल की समस्या का हल कब तक किया जायेगा. पार्टी देखकर जनता बंटी हुई है और वोट भी उसी अनुपात में सभी दल को जायेगा.

वहीं अशोक गहलोत कहते हैं, यहां का मुख्य मुद्दा  ट्रैफिक और सड़कों की खराब हालत, द्वारका सब सिटी में मल्टी एजेंसी होने की वजह से लोगों की शिकायतों का समाधान जल्दी नहीं होना, आसपास की कई कॉलोनियों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव, गर्मी में यहां कई अपार्टमेंट में पानी की किल्लत जैसी समस्याओं को दूर किया जाना जरूरी है. उन्हें भी मूलभूत सुविधा और विकास चाहिये. इस क्षेत्र में पूर्वांचली और महाराष्ट्र के लोगों की संख्या ज्यादा है. चूंकि इस विधानसभा क्षेत्र में गांव भी कई है, इसलिये परंपरागत वोटरों सहित पूर्वांचली और महाराष्ट्र के वोटर भी हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभायेंगे.

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