कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को आज सूरत कोर्ट ने मानहानि के केस में दो साल की सजा सुनायी है. हालांकि राहुल गांधी की संसद सदस्यता पर फिलहाल खतरा उत्पन्न नहीं हो रहा, लेकिन देश में कई ऐसे राजनेता हैं जिनकी संसद और विधानसभा की सदस्यता जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की वजह से गयी है. आइए जानते हैं उन राजनेताओं के नाम जिनकी सदस्यता इस अधिनियम की वजह से गयी है.
लालू यादव : राजद के सुप्रीमो लालू यादव को चारा घोटाला मामले में सजा सुनाये जाने के बाद उनकी संसद की सदस्यता रद्द हो गयी थी. सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाला मामले में उन्हें पांच साल की सजा सुनायी थी. उस वक्त लालू यादव सारण लोकसभा सीट से सांसद थे.
रशीद मसूद : कांग्रेस नेता और राज्यसभा के सांसद रशीद मसूद की सदस्यता भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद गयी थी. वे राज्यसभा के पहले ऐसे सांसद हैं जिनकी सदस्यता जन प्रतिनिधितत्व अधिनियम 1951 के तहत गयी. उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में चार साल की सजा हुई थी.
एनोस एक्का: झारखंड पार्टी के नेता रहे एनोस एक्का को हत्या के मामले में कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनायी थी जिसके बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द हो गयी. वे कोलेबिरा विधानसभा सीट से विधायक थे.
बबनराव घोलप : शिवसेना के नेता बबनराव घोलप को कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में तीन साल कैद की सजा सुनायी थी. इस मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद उनकी देवलाली विधानसभा सीट से विधायकी चली गयी. उन्हें 2014 में सजा सुनायी गयी थी.
जगदीश शर्मा : जदयू नेता और जहानाबाद के सांसद जगदीश शर्मा को चारा घोटाला मामले में कोर्ट ने दोषी करार देते हुए पांच साल की सजा सुनायी थी. इस सजा के बाद उनकी संसद की सदस्यता रद्द हो गयी थी. इनके अलावा झारखंड के अन्य नेता भी हैं, जिनकी विधानसभा की सदस्यता सजा सुनाये जाने के बाद गयी, उनमें प्रमुख हैं बंधु तिर्की, ममता देवी, कमल किशोर भगत और योगेंद्र प्रसाद महतो.