फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर भारत के महान धावक मिल्खा सिंह ने जिंदगी की जंग हार गए हैं. उन्होंने 91 साल की उम्र में चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में अंतिम सांस ली. पिछले एक महीने से वे कोरोना से लड़ रहे थे. बता दें इसी हफ्ते उनकी पत्नी का देहांत भी कोरोना की वजह से हो गया था.
Legendary Indian sprinter Milkha Singh dies after month long battle with COVID-19: Family spokesperson
— Press Trust of India (@PTI_News) June 18, 2021
आक्सीजन स्तर हो गया था कम
मिल्खा सिंह को 3 जून को पीजीआई में भर्ती कराया गया था. इससे पहले उनका घर पर ही इलाज चल रहा था लेकिन ऑक्सीजन लेवल कम होने पर अस्पताल ले जाया गया. हालांकि वे बुधवार को कोरोना नेगेटिव आ गए थे.
इसके बाद उन्हें कोविड आईसीयू से सामान्य आईसीयू में भेज दिया गया था. लेकिन इस बीमारी के चलते हुई जटिलताओं के कारण उनकी हालत गंभीर हो गई थी. स्वास्थ्य की जानकारी देते हुए पीजीआईएमईआर अस्पताल ने कहा था कि शुक्रवार शाम को कोविड-19 के बाद उत्पन्न हुई जटिलताओं के कारण उनकी हालत गंभीर हो गयी थी. उनका आक्सीजन स्तर कम होना और उन्हें बुखार आ गया था.
In the passing away of Shri Milkha Singh Ji, we have lost a colossal sportsperson, who captured the nation’s imagination and had a special place in the hearts of countless Indians. His inspiring personality endeared himself to millions. Anguished by his passing away. pic.twitter.com/h99RNbXI28
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2021
13 जून को मोहाली में मिल्खा सिंह की पत्नी ने ली थी अंतिम सांस
मिल्खा सिंह की पत्नी के देहांत के बाद उनके परिवार की ओर से भी बयान आया था. इसमें कहा गया था, ‘मिल्खा जी के लिये दिन थोड़ा मुश्किल रहा. लेकिन वह इससे संघर्ष कर रहे हैं.’इससे पहले उनकी पत्नी निर्मल कौर का कोविड-19 संक्रमण से जूझते हुए 13 जून को मोहाली में एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था. कौर खुद एथलीट रही थीं.
अपनी पत्नी के दाह संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे मिल्खा सिंह
इसी हफ्ते पत्नी की मौत हो जाने के बाद वे मिल्खा सिंह अपनी पत्नी के दाह संस्कार में भी शामिल नहीं हो सके थे क्योंकि वे खुद भी आईसीयू में भर्ती थे.
चार बार एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक जीते थे मिल्खा सिंह
चार बार के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता मिल्खा ने 1958 राष्ट्रमंडल खेलों में भी गोल्ड मेडल हासिल किया था. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1960 के रोम ओलंपिक में था जिसमें वह 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहे थे. उन्होंने 1956 और 1964 ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्हें 1959 में पद्मश्री से नवाजा गया था.
Posted By: Shaurya Punj