गुजरात के वलसाड में मुंबई-अहमदाबाद उच्च गति वाले रेल गलियारे यानी बुलेट ट्रेन परियोजना के मार्ग में बनने वाली सात पर्वतीय सुरंगों में से पहली पर्वतीय सुरंग बनाने में कामयाबी हासिल हुई. यह कामयाबी 10 महीनों की अवधि में हासिल हुई. नेशनल हाईस्पीड रेल कोरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने यह जानकारी दी है.
एक अधिकारी ने बताया कि अन्य छह पर्वतीय सुरंगों के लिए ठेके दे दिए गए हैं, जबकि मुंबई में बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स को ठाणे जिले स्थित शिलफाटा से जोड़ने के लिए समुद्र के नीचे सुरंग के लिए खुदाई का काम शुरू हो गया है.
First of India's #Shinkansen tunnel is ready!
— Rajendra B. Aklekar (@rajtoday) October 5, 2023
Breakthrough of First Mountain Tunnel for India's first HSR Mumbai-Ahmedabad High Speed Rail Corridor
National High speed Rail Corporation Limited @nhsrcl has achieved a major milestone today with the breakthrough of mountain… pic.twitter.com/3sAWpkmb8u
एनएचएसआरसीएल ने एक बयान में कहा कि ‘नयी आस्ट्रियाई सुरंग विधि’ (एनएटीएम) के जरिए 10 महीने में इस सुरंग का निर्माण किया गया है जो गुजरात में वलसाड के उम्बेरगांव तालुका में जरोली गांव से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर है.
‘ब्रेकथ्रू’ एक इंजीनियरिंग शब्द है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब एक सुरंग के दो सिरे बीच में मिलते हैं.
उसने कहा, “उसमें सुरंग, सुरंग द्वार, सुरंग प्रवेश छतरी जैसे अन्य संबंधित संरचनाएं हैं. 350 मीटर लंबी इस सुरंग का व्यास 12.6 मीटर और ऊंचाई 10.25 मीटर है. घोड़े के नाल आकार वाली इस सुरंग में दो उच्च रफ्तार ट्रेन ट्रैक होंगे.”
मुंबई-अहमदाबाद उच्च रफ्तार रेल गलियारे में पहाड़ों से गुजरने वाली सात सुरंगें होंगी और उन सभी का निर्माण एनएटीएम के माध्यम से किया जाएगा.
उच्च रफ्तार वाले इस ट्रेन गलियारे में मुंबई में बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स और ठाणे जिले के शिलफाटा के बीच 21 किलोमीटर लंबी सुरंग भी होगी जिसका सात किलोमीटर हिस्सा ठाणे क्रीक (खाड़ी) में होगा यानी कि यह समुद्र के नीचे से गुजरने वाली देश की पहली सुरंग होगी.
अधिकारियों ने बताया कि जिन छह पर्वतीय सुरंगों के लिए अनुबंध दिए गए हैं, वे मुंबई से लगभग 100 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के पालघर जिले के कसाबेकामन, चंद्रपाड़ा, चंदसर, मीठागर, वसंतवाड़ी और अंबेसरी में हैं.
मुंबई-अहमदाबाद उच्च गति वाले रेल गलियारे परियोजना की कुल लागत 1.08 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है.