17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

यूरिया की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ एक्शन में मोदी सरकार, 100 करोड़ की सब्सिडी चोरी का पता चला

Black Marketing of Urea: यूरिया की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ नरेंद्र मोदी सरकार एक्शन में है. अब तक 100 करोड़ की सब्सिडी की चोरी का पता चला चला है. सरकार की ओर से की गयी कार्रवाई में पता चला है कि यूरिया की कालाबाजारी की वजह से लगभग 6,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी सही हाथों तक नहीं पहुंच पाती.

Black Marketing of Urea: केंद्र ने औद्योगिक उपयोग के लिए हर साल लगभग 10 लाख टन कृषि-ग्रेड यूरिया की कालाबाजारी को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी कार्रवाई शुरू की है. एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि कालाबाजारी से लगभग 6,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी सही हाथों तक नहीं पहुंच पाती है. पिछले ढाई महीने में सरकार ने विभिन्न गुप्त अभियानों के जरिये 100 करोड़ रुपये की सब्सिडी के ‘रिसाव’ के मामलों की पहचान की है.

किसानों को 2700 रुपये प्रति बोरी सब्सिडी देती है सरकार

केंद्र किसानों को 266 रुपये प्रति बोरी (45 किलो) की अत्यधिक रियायती दर पर यूरिया प्रदान करता है. सरकार को इसके कारण यूरिया पर प्रति बोरी 2,700 रुपये से अधिक के सब्सिडी खर्च को वहन करना होता है. रसायन और उर्वरक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि औद्योगिक उपयोग के लिए लगभग 13-14 लाख टन तकनीकी ग्रेड यूरिया की वार्षिक आवश्यकता है, जिसमें से देश में केवल 1.5 लाख टन का उत्पादन होता है. उद्योग 10 लाख टन से अधिक के आवश्यक स्तर के मुकाबले केवल दो लाख टन का आयात करता है.

Also Read: PM मोदी ने नैनो यूरिया प्लांट का किया उद्घाटन, बोले- मॉडल कॉपरेटिव गांव की दिशा में आगे बढ़ रहा देश
10 लाख टन कृषि ग्रेड यूरिया की होती है कालाबाजारी

अधिकारी ने कहा, ‘हमारे अनुमान के मुताबिक, हर साल लगभग 10 लाख टन कृषि-ग्रेड यूरिया का गलत इस्तेमाल या कालाबाजारी की जा रही है. सब्सिडी वाले यूरिया को मुख्य रूप से उद्योगों को दिया जा रहा है. कुछ मात्रा पड़ोसी देशों को जाती है.’ उन्होंने कहा कि इसके कारण करीब 6,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी का सही इस्तेमाल नहीं हो पाता. यूरिया का उपयोग विभिन्न उद्योगों जैसे राल या गोंद, प्लाईवुड, क्रॉकरी, मोल्डिंग पाउडर, मवेशी चारा, डेयरी और औद्योगिक खनन विस्फोटकों में किया जाता है. कृषि-ग्रेड यूरिया नीम-लेपित है, जबकि तकनीकी-ग्रेड यूरिया नहीं है.

नीम कोटिंग हटाकर यूरिया का होता है औद्योगिक इस्तेमाल

अधिकारी ने कहा कि कुछ रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से नीम की कोटिंग को हटा दिया जाता है और फिर यूरिया का उपयोग औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है. राज्यों और अन्य विभिन्न केंद्रीय प्राधिकरणों के साथ उर्वरक विभाग द्वारा दोषी इकाइयों के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी कार्रवाई शुरू की गयी है. अधिकारी ने कहा, ‘पिछले ढाई महीनों के दौरान विभिन्न गुप्त अभियानों के माध्यम से 100 करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी के गलत हाथों में जाने की जानकारी मिली है.’

64.43 करोड़ की जीएसटी की चोरी पकड़ी

उर्वरक विभाग ने उप-मानक गुणवत्ता वाले उर्वरक को इधर-उधर करने, कालाबाजारी, जमाखोरी और आपूर्ति में शामिल इकाइयों के औचक निरीक्षण के लिए समर्पित अधिकारियों के ‘उर्वरक उड़न दस्ते’ की एक विशेष टीम का गठन किया है. केंद्र ने राज्यों को कार्रवाई करने को कहा है, क्योंकि उर्वरक एक आवश्यक वस्तु है. अब तक की कार्रवाई में विभाग ने औद्योगिक ग्रेड यूरिया आपूर्तिकर्ताओं द्वारा 64.43 करोड़ रुपये की माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी पकड़ी है. इस जानकारी को जीएसटी विभाग के साथ साझा किया गया है और अब तक 5.14 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है.

Also Read: बरौनी के हर्ल खाद कारखाने में लगेगा नैनो यूरिया का यूनिट, केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने किया ऐलान
25,000 बोरी कृषि ग्रेड यूरिया का बेहिसाब स्टॉक बरामद

अधिकारी ने कहा, ‘7.5 करोड़ रुपये मूल्य के लगभग 25,000 बोरी के कृषि ग्रेड यूरिया का बेहिसाबी स्टॉक बरामद किया गया है. सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के तहत छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. आगे की जांच जारी है.’ विभाग ने 8 राज्यों में मिश्रित उर्वरकों की 38 निर्माण इकाइयों पर भी कार्रवाई शुरू की है.

25 इकाइयों के लाइसेंस रद्द

अधिकारी ने कहा, ‘गुणवत्ता विश्लेषण के लिए नमूने एकत्र किये गये हैं. 70 प्रतिशत नमूने घटिया पाये गये. 25 दोषी इकाइयों के विनिर्माण लाइसेंस रद्द कर दिये गये.’ 20 मई को, 6 राज्यों में 52 इकाइयों में उर्वरकों की कालाबाजारी पर बहु-स्तरीय कार्रवाई शुरू की गयी थी. अधिकारी ने कहा, ‘7,400 बोरी (2.2 करोड़ रुपये मूल्य) का अनधिकृत यूरिया स्टॉक जब्त किया गया. इन इकाइयों से एकत्र किये गये संदिग्ध यूरिया के 59 नमूनों में से 22 में अब तक नीम के तेल की मात्रा पायी गयी.’

350 लाख टन यूरिया की है मांग

इकाइयों के खिलाफ सात प्राथमिकी या शिकायतें दर्ज करायी गयी हैं. पड़ोसी देशों को कालाबाजारी किये जाने के बारे में अधिकारी ने कहा कि नेपाल सीमा से सटे जिलों में एक अभियान शुरू किया गया था और यह काफी हद तक सफल रहा है. अधिकारी ने कहा, ‘नेपाल यूरिया का आयात नहीं करता था. लेकिन, वह पिछले दो साल से ऐसा कर रहा है.’ भारत में यूरिया की वार्षिक घरेलू मांग लगभग 350 लाख टन का है, जिसमें से 260 लाख टन स्थानीय स्तर पर उत्पादित किया जाता है, जबकि शेष का आयात किया जाता है.

एजेंसी इनपुट

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें