नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने किसानों के एक साल तक चले आंदोलन के बाद आखिरकार तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया. क्या एक बार फिर सरकार उन्हीं कृषि कानूनों को फिर से संसद में पेश करेगी? इस सवाल पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को स्पष्टीकरण दिया.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार की हाल में निरस्त किये गये कृषि कानूनों को वापस लाने की कोई योजना नहीं है. इतना ही नहीं, कृषि मंत्री ने उन्होंने किसानों से इस मुद्दे पर कांग्रेस द्वारा पैदा किये जा रहे ‘भ्रम’ से सावधान रहने का आग्रह किया.
श्री तोमर ने एक बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने का फैसला किया था. मंत्री ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के नागपुर में एक कृषि कार्यक्रम में दिये संबोधन के दौरान इस मुद्दे पर उनकी टिप्पणियों को गलत समझा गया और उनकी मंशा वह नहीं थी, जो दिखाया जा रहा है.
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उन्होंने कहा, ‘कार्यक्रम में मैंने कहा था कि हमने कृषि कानूनों पर एक कदम पीछे लिया है, लेकिन सरकार किसानों की भलाई की दिशा में काम करने के लिए हमेशा आगे बढ़ती रहेगी. अत: इस मुद्दे पर कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए और सरकार का कृषि कानूनों को फिर से लाने का कोई इरादा नहीं है.’
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ‘अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए भ्रम फैलाने के नकारात्मक काम में’ शामिल होने के लिए कांग्रेस पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि किसानों को इससे सावधान रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2006 में आयी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं की थी.
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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर प्रकाश पर्व पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर किसानों के एक साल लंबे चले आंदोलन को खत्म करने की कवायद में तीन विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी.
Posted By: Mithilesh Jha