प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर लाल किले के प्राचीर से यह कहा है कि देश ने पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का लक्ष्य समय से पहले हासिल कर लिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर होने का आह्वान किया.
पीएम मोदी ने बताया कि हम अपनी अपनी तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत और गैस जरूरतों का 50 प्रतिशत आयात से करते हैं. अगर हमें ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना है तो हमें हाइड्रोजन मिशन तथा इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को तेजी से बढ़ाना होगा. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में यह भी कहा कि सरकार तेल आयात कम करने के लिए पेट्रोल में एथनॉल मिलाने पर जोर दे रही है. पेट्रोल में एथनॉल मिलाने से वायु प्रदूषण का खतरा घटता है और यह वातावरण के लिए बेहतर उपाय है.
जैव ईंधन दिवस यानी 10 अगस्त को पीएम मोदी ने हरियाणा के पानीपत में एक एथनॉल प्लांट का उदघाटन भी किया था. पीएमओ द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार इस 2जी एथनॉल प्लांट को राष्ट्र को समर्पित करने का उद्देश्य देश में ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल को बढ़ावा देना और उसके उत्पादन में बढ़ोतरी करना है. जलवायु संकट से निपटने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने की बात कर रही है और इसी क्रम में नेट जीरो उत्सर्जन जैसे वायदे भी किये गये हैं.
एथनॉल का निर्माण कृषि उत्पादों से किया जाता है. मसलन चावल और गेहूं के भूसे, गन्ने की खोई आदि से एथनॉल बनाया जाता है. एथेनॉल इको-फ्रैंडली फ्यूल है जिससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता है और यह जलवायु संकट के खतरे को कम करता है. साथ ही ऊर्जा के इस स्रोत पर खर्च भी कम आता है. एथनॉल वाहनों के इंजन की गर्मी को भी बाहर करता है. पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन 35 प्रतिशत कम होता है. इतना ही नहीं एथनॉल सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन को भी कम करता है. एथेनॉल में ऑक्सीजन की मात्रा 35 प्रतिशत होती है.
जलवायु संकट के बढ़ते खतरे के बीच सरकार ने पेट्रोल में एथनॉल मिएथनॉल मिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसी क्रम में पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का लक्ष्य नवंबर, 2022 तक पूरा होना था, इसे अगस्त में ही पूरा कर लिया गया है. अब राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति के तहत 2025-26 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा गया है. इसका फायदा यह होगा कि वातावरण को नुकसान कम होगा और देश का करोड़ों रुपया विदेश जाने से बचेगा.
जलवायु संकट को कम करने और पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए सरकार ने 2018 में राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति की घोषणा की थी. इस नीति के तहत वैसे कृषित उत्पाद जो मनुष्य के उपभोग के लिए अनुपयुक्त नहीं हैं उनका उपयोग ईंधन बनाने के लिए किया जायेगा. चावल और गेहूं के भूसे, गन्ने की खोई के अलावा बेकार अनाज जैसे गेहूं , टूटा चावल, सड़े हुए आलू के इस्तेमाल की अनुमति भी एथनॉल उत्पादन के लिए दी गयी है.