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‘उद्धव ठाकरे चुनावी मैदान में मुझसे टक्‍कर लें’, अस्पताल से डिस्चार्ज होते ही नवनीत राणा हुईं हमलावर

सांसद नवनीत राणा ने कहा कि क्‍या भगवान का नाम लेना गुनाह है जिसके कारण मुझे जेल भेजा गया. जेल में मैंने 13 से 14 दिन बिताए. मैंने कौन सी गलती की जिसके कारण मुझे सजा दी गई. मैं 14 दिन में दबने वाली नहीं हूं. हमारी लड़ाई आगे भी जारी रहने वाली है.

मुंबई के लीलावती अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद सांसद नवनीत राणा ने महाराष्‍ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार पर जमकर हमला किया. अस्पताल से जब वह निकल रहीं थीं तो उनके हाथ में हनुमान चालीसा नजर आया. उन्होंने अस्‍पताल के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मैं 14 दिन में दबने वाली नहीं हूं. हमारी लड़ाई आगे भी जारी रहने वाली है.

आखिर मुझे किस गतती की सजा दी गई ?

महाराष्‍ट्र के अमरावती से सांसद नवनीत राणा ने सूबे की उद्धव सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आखिर मुझे किस गतती की सजा दी गई ? मैंने ऐसी क्‍या बहुत बड़ी गलती कर दी जिसकी वजह से मुझपर राजद्रोह का चार्ज लगाया गया. उन्होंने कहा कि मैं अदालत का सम्मान करतीं हूं. लेकिन क्‍या भगवान का नाम लेना गुनाह है.

सीएम पूर्वजों के कारण बनें हैं उद्धव ठाकरे

महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे को सांसद नवनीत राणा ने चैलेंज करते हुए कहा कि आपको आपका पद पूर्वजों के कारण मिला है. मैं उद्धव ठाकरे से कहना चाहती हूं कि वह प्रदेश में किसी भी जगह को चुनें और चुनावी मैदान में आएं. मैं आपके सामने खड़ी होऊंगी और चुनावी मैदान में टक्‍कर दूंगी. एक महिला की ताकत का अंदाजा आपको चुनावी मैदान में ही पता चल जाएगा.

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14 दिन क्‍या 14 साल जेल में रहने के लिए तैयार : नवनीत राणा

सांसद नवनीत राणा ने कहा कि क्‍या भगवान का नाम लेना गुनाह है जिसके कारण मुझे जेल भेजा गया. जेल में मैंने 13 से 14 दिन बिताए. मैंने कौन सी गलती की जिसके कारण मुझे सजा दी गई. यदि भगवान का नाम लेना गुनाह है तो मैं इसके लिए 14 दिन क्‍या 14 साल जेल में रहने के लिए तैयार हूं.

मेरी तबीयत अभी भी ठीक नहीं : सांसद नवनीत राणा

सांसद नवनीत राणा ने कहा कि लॉकअप में मुझे चटाई तक नहीं दी. मुझे सुबह तक खड़ा रखा गया. इसके कारण मेरी तबीयत खराब हुई. मैंने राज द्रोह का क्‍या काम किया है ? मेरे पर यह चार्ज क्‍यों लगाया गया ? उन्होंने कहा कि मेरी तबीयत अभी भी ठीक नहीं है. मैं डॉक्‍टरों की निगरानी में रहूंगी. डॉक्‍टर मुझे डिस्‍चार्ज नहीं करना चाहते थे. मैंने उनसे आग्रह किया जिसके बाद अस्‍पताल से मुझे छुट्टी दी गई.

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