लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय नक्सली हिंसा के बारे में संसद ने जानकारी देते हुए बताया कि, छत्तीसगढ़ में 2018 से 28 फरवरी 2023 तक कुल 175 सुरक्षा बल के जवान मारे गए, जबकि राज्य में 328 वामपंथी चरमपंथी मारे गए और 345 नागरिकों की जान गई.
बात अगर 2011 से लेकर 2020 तक की करें तो, छत्तीसगढ़ में जितने भी नक्सली हमले हुए, उसमें नक्सलियों से ज्यादा आम लोग मारे गए. पिछले 10 सालों में राज्य में सुरक्षाबलों ने एक तरफ 656 नक्सलियों को मार गिराया, वहीं दूसरी तरफ नक्सली घटनाओं में 736 आम लोगों की जान गई. सुरक्षाबलों ने सबसे ज्यादा नक्सली 2016 में मारे थे. उस साल 135 नक्सली मारे गए थे. उसके बाद 2018 में 125 नक्सली मारे गए. छत्तीसगढ़ में नक्सली हमलों में मारे गए नागरिकों और शहीद जवानों के आंकड़ों को जोड़ें, तो पिछले 10 साल में यहां 1,225 मौतें हुई हैं. ये देश के बाकी किसी भी नक्सल प्रभावित राज्यों में सबसे ज्यादा है
छत्तीसगढ़ में 8 जिले नक्सल प्रभावित हैं. इनमें बीजापुर, सुकमा, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, राजनंदगांव और कोंडागांव शामिल हैं. सुरक्षाबल या पुलिस जब भी नक्सलियों को पकड़ने जाती है, तो ये नक्सली उन पर हमला कर देते हैं. गृह मंत्रालय की सालाना रिपोर्ट और लोकसभा में दिए जवाब के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 साल में यानी 2011 से लेकर 2020 तक छत्तीसगढ़ में 3 हजार 722 नक्सली हमले हुए. इन हमलों में हमने 489 जवान खो दिए.
आपको बताएं कि, छत्तीसगढ़ से ज्यादा नक्सल प्रभावित झारखंड है. यहां 13 जिले नक्सल प्रभावित हैं. उसके बावजूद झारखंड में नक्सली हमले छत्तीसगढ़ की तुलना में कम होते हैं. अगर देखा जाए तो 2011 से 2020 तक छत्तीसगढ़ में जहां 3,722 नक्सली हमले हुए, वहीं इसी दौरान झारखंड में 3,256 हमले हुए. एक ट्रेंड ये भी है कि झारखंड में जहां नक्सली हमलों में कमी आ रही है, वहीं छत्तीसगढ़ में हमले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. सरकार इन्हें नक्सली हमले नहीं कहती, बल्कि वामपंथी उग्रवाद हमले बताती है.