कांग्रेस और भाजपा समेत तमाम राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर एजेंसियों का गलत ढंग से इस्तेमाल करने का आरोप लगाती रहती हैं. मगर हम बीते 18 सालों के आंकड़े को देखें, तो यूपीए और एनडीए के सत्ता में रहते हुए 200 विपक्ष के नेताओं पर मामला दर्ज किया गया है. इनमें करीब 80 प्रतिशत नेता विपक्षी दलों के हैं.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में बताय है कि ऑफ कोर्ट रिकॉर्ड्स और केंद्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट की माने तो साल 2014 में एनडीए के सत्ता मेें आने के बाद से विपक्षी दलों पर कार्रवाई काफी तेज हो गई है, वहीं, साल 2014 से पहले यूपीए की सरकार के दौरान 10 वर्षों में करीब 72 नेताओं पर जांच एजेंसियों ने शिकंजा कसा था. इनमेंं 43 नेता विपक्षी दलों के थे.
वहीं, इन 8 सालों में (2014 से 2022) तक एनडीए के सत्ता में रहते हुए करीब 124 नेताओं को सीबीआई जांच का सामना करना पड़ा है. इनमें से 118 नेता यानी करीब 95 प्रतिशत नेता विपक्षी दलों के हैं. मीडिया रिपोर्ट की माने, तो इन 8 वर्षों में 12 पूर्व मुख्यमंत्री, 10 मंत्री, 34 सांसद, 27 विधायक के अलावा 10 पूर्व विधायक और 6 पूर्व सांसदों को सीबीआई जांच का सामना करना पड़ा है. इससे पहले यूपीए के कार्यकाल के दौरान 4 पूर्व मुख्यमंत्री, 3 मंत्री, 13 सांसद, 15 विधायक, 1 पूर्व विधायक और 3 पूर्व सांसद जांच के घेरे में थे.
Also Read: Mathura Tensions: मथुरा में धारा-144 लागू, सीआरपीएफ DG की रिपोर्ट के बाद केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी
हम यह भी देखते हैं कि सीबीआई के निशाने पर आए नेता कार्रवाई के डर से पार्टी बदल लेते हैं. इसके बाद उनपर कार्रवाई नहीं होती. इन सवालों के जवाब पर सीबीआई के किसी तरह का कोई जवाब नहीें दिया. हालांकि जांच एजेंसी का मानना है कि यह मजह एक संयोग है और कुछ नहीं. वहीं सीबीआई ने इस बात से भी इनकार किया है कि केवल और केवल विपक्षी दलों को ही निशाना बताया जाता है.