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New criminal law:तीन नये आपराधिक कानूनों पर दिल्ली विश्वविद्यालय में शुरू हुआ जागरुकता अभियान

अच्छे कानून होंगे तभी समाज के लिए अच्छा कर पायेंगे न्यायाधीश : न्यायाधीश स्वर्ण कांता शर्मा तीन नये आपराधिक कानून एक जुलाई से देश में लागू होना है. इन कानूनों को लेकर जागरूक करने के लिए कई स्तर पर अभियान चलाए जाने की योजना है. इस कड़ी में शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में तीन आपराधिक कानूनों […]

अच्छे कानून होंगे तभी समाज के लिए अच्छा कर पायेंगे न्यायाधीश : न्यायाधीश स्वर्ण कांता शर्मा तीन नये आपराधिक कानून एक जुलाई से देश में लागू होना है. इन कानूनों को लेकर जागरूक करने के लिए कई स्तर पर अभियान चलाए जाने की योजना है. इस कड़ी में शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में तीन आपराधिक कानूनों को लेकर जागरुकता अभियान का शुभारंभ हुआ. इस अभियान को संबोधित करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायाधीश स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि देश में अंग्रेजों के बनाए आपराधिक कानून चल रहे थे. हर देश का कानून उसकी जरूरतों के आधार पर तैयार होना चाहिए.

कानून बनाने के लिए 32 हजार लोगों ने अपने सुझाव भेजे

न्यायाधीश भी समाज के लिए अच्छा करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए कानून भी अच्छा होना चाहिए.  तीन नए आपराधिक कानूनों भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि कानून बनाने के लिए 32 हजार लोगों ने अपने-अपने बहुमूल्य सुझाव भेजे थे, जिनके आधार पर इसे बनाया गया है. यह तीनों कानून एक जुलाई, 2024 से ब्रिटिश युग के औपनिवेशिक कानूनों भारतीय दंड संहिता 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे. ब्रिटिश युग के कानूनों में दंड (पीनल) शब्द का इस्तेमाल किया गया था जबकि नये कानूनों में दंड की जगह न्याय शब्द प्रयोग किया गया है. इन शब्दों में बहुत बड़ा अंतर है.अंग्रेजों द्वारा दिया गया कानून उनके नजरिए से था जिसमें दंड पर जोर था लेकिन अब न्याय की बात की गयी है. उन्होंने कहा कि बदलते दौर में हमें नयी तकनीक की जरूरत है. नयी तकनीक के आगमन के साथ नए अपराध भी सामने आएंगे. ऐसे में नए कानूनों की भी जरूरत होती है. इसलिए हमें इन कानूनों का स्वागत करना चाहिए. न्यायाधीश शर्मा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से आह्वान किया कि नए कानून के क्रियान्वयन पर स्टडी करनी चाहिए. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए  दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए ये तीन नए कानून परिवर्तनकारी साबित होंगे. भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और लोकतंत्र की नींव कानून के शासन पर टिकी होती है. इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील मोनिका अरोड़ा ने तीनों नए कानूनों की पुराने कानूनों से तुलनात्मक व्याख्या प्रस्तुत की. 

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