वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि देवास मल्टीमीडिया के परिसमापन को उचित ठहराने का आदेश एक बड़ा फैसला है. कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2011 में एंट्रिक्स-देवास सौदे को रद्द कर दिया था.
पट्टे पर एस-बैंड सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के जरिये मोबाइल ग्राहकों को मल्टीमीडिया सेवाएं देने का 2005 का एंट्रिक्स-देवास करार धोखा था. यह टिप्पणी वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस काॅन्फ्रेंस में की.
"It's a fraud of the Congress, for the Congress and by the Congress," says Finance Min Nirmala Sitharaman on the Devas-Antrix issue pic.twitter.com/5eIV0fXas8
— ANI (@ANI) January 18, 2022
निर्मला सीतारमण ने प्रेस काॅन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि यूपीए की सरकार ने 2005 के एंट्रिक्स-देवास सौदे में राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्य से इस्तेमाल होने वाले एस-बैंड का स्पेक्ट्रम देकर अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया.
I would like to talk on Supreme Court judgment on Devas-Antrix issue. SC has given a comprehensive order. UPA got cancelled this deal in 2011. It was a fraud deal: Finance Minister Nirmala Sitharaman pic.twitter.com/DyhcpFchkh
— ANI (@ANI) January 18, 2022
उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार अब करदाताओं के पैसे बचाने के लिए हर अदालत में लड़ रही है, अन्यथा यह राशि मध्यस्थता फैसले के भुगतान में चली जाती, जो देवास ने 2005 के सौदे को रद्द करने पर जीता है. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 17 जनवरी को देवास मल्टीमीडिया के परिसमापन को इस आधार पर बरकरार रखा कि इसे धोखाधड़ी के इरादे से अंजाम दिया गया था.
उनकी यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है, जब देवास के शेयरधारकों ने 1.29 अरब डॉलर की वसूली के लिए विदेशों में भारतीय संपत्तियों को जब्त करने के प्रयास तेज कर दिए हैं. देवास को इस धनराशि की भरपाई का आदेश अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरणों ने दिया था. देवास को पेरिस में भारतीय संपत्तियों को जब्त करने के लिए फ्रांसीसी अदालत ने आदेश दिया है और कंपनी कनाडा में एयर इंडिया के धन को जब्त करने की मांग भी कर रही है.
वित्त मंत्री ने कहा कि देवास ने उन बातों को पूरा करने का वादा किया, जिन पर उसका अधिकार भी नहीं था. देवास मल्टीमीडिया ने 2005 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत एस-बैंड उपग्रह स्पेक्ट्रम का उपयोग करके मोबाइल उपयोगकर्ताओं को मल्टीमीडिया सेवाएं दी जानी थीं. यह सौदा 2011 में इस आधार पर रद्द कर दिया गया कि ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम की नीलामी धोखाधड़ी में हुई थी और सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य सामाजिक उद्देश्यों के लिए एस-बैंड उपग्रह स्पेक्ट्रम की जरूरत थी.
इसके बाद देवास मल्टीमीडिया ने इंटरनेशनल चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) में फैसले के खिलाफ मध्यस्थता कार्रवाई शुरू की. इसके अलावा देवास के निवेशकों द्वारा दो अन्य मध्यस्थता कार्रवाई भी शुरू की गईं, भारत को तीनों मामलों में हार का सामना करना पड़ा और नुकसान की भरपाई के लिए कुल 1.29 अरब डॉलर का भुगतान करने को कहा गया. सीतारमण ने कहा कि उनकी सरकार करदाताओं के पैसे बचाने के लिए सभी अदालतों में लड़ रही है
निर्मला सीतारमण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि देवास मल्टीमीडिया बड़ी मात्रा में धोखाधड़ी का मामला है जिसे निजी झूठ के रूप में छुपाया नहीं जा सकता है.