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‘एनडीए की हर नीति से सहमत नहीं’, बोले जोरमथंगा- केंद्र सरकार से न डरते हैं… न NDA की हर पॉलिसी मानेंगे

सीएम जोरमथंगा ने आइजोल में कहा कि एमएनएफ न तो राज्य सरकार और न ही एनडीए से डरता है. हम एनडीए के साथ हैं, लेकिन उनकी हर नीति के हमारा समर्थक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी एनडीए गठबंधन हिस्सा है. लेकिन हम एनडीए के साथ हैं लेकिन हम उनकी हरेक नीति से सहमत नहीं हैं.

मिजोरम के सीएम जोरमथांगा ने कहा है कि  मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि पार्टी केंद्र में एनडीए की सभी नीतियों का समर्थन करेगी. सीएम जोरमथंगा ने आइजोल में कहा कि एमएनएफ न तो राज्य सरकार और न ही एनडीए से डरता है. हम एनडीए के साथ हैं, लेकिन उनकी हर नीति के समर्थक नहीं हैं. सीएम जोरमथंगा ने कहा कि हम एनडीए की हर नीतियों का समर्थन नहीं करेंगे. सीएम जोरमथंगा ने कहा कि एमएनएफ बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने मिजोरम सरकार को म्यांमार से सभी शरणार्थियों को वापस लाने का निर्देश दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है.

एनडीए की सभी नीतियों से इत्तेफाक नहीं- जोरमथांगा
प्रदेश के सीएम जोरमथंगा ने आइजॉल में एमएनएफ पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि देश में अधिकतर राजनीतिक दल या एनडीए या फिर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (I-N-D-I-A) गठबंधन में शामिल हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी एमएनएफ एनडीए गठबंधन हिस्सा है. उन्होंने कहा कि हम एनडीए के साथ हैं लेकिन हम उनकी हरेक नीति से सहमत नहीं हैं.

यूसीसी का विरोध
मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने कहा कि केंद्र सरकार का यूसीसी कानून  नस्ली अल्पसंख्यकों के हितों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि एमएनएफ ने केंद्र की समान नागरिकता कानून पर कहा था कि वो उसके साथ तभी तक देगा जब तक यह कानून जनता और खासकर देश के नस्ली अल्पसंख्यकों के हित में होगा. इसके अलावा किसी भी तरह से वे यूसीसी का समर्थन नहीं करेंगे. उन्होंने यह भी कहा उनके पार्टी के अलावा अन्य किसी दल ने इस यूसीसी का विरोध नहीं किया.

नागरिक संस्थाएं मणिपुर हिंसा के खिलाफ मिजोरम में करेंगी रैली
गौरतलब है कि मणिपुर हिंसा की आंच मिजोरम के कई इलाकों में भी पहुंची है. नागरिक संस्थाएं जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में जो समुदाय के लोगों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए आज यानी मंगलवार को मिजोरम में रैली निकाल रही है. मिजोरम में मिजो समुदाय के लोगों का मणिपुर के कुकी, बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी इलाकों के कुकी-चिन और म्यांमा के चिन समुदाय के लोगों के साथ जातीय संबंध है. इन्हें सामूहिक रूप से जो कहा जाता है. बता दें, सेंट्रल यंग मिजो एसोसिएशन (सीवाईएमए) और मिजो जिरलाई पावल (एमजेडपी) सहित पांच प्रमुख नागरिक संस्थाएं आज मिजोरम में विरोध रैलियां निकाल रही हैं.

मिजो नेशनल पार्टी कर रही है रैलियों का समर्थन
वहीं, मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने रैली को लेकर घोषणा की है कि रैलियों के समर्थन में उनकी मिजो नेशनल पार्टी (एमएनएफ) का कार्यालय मंगलवार को बंद रहेगा. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से रैलियों में हिस्सा लेने को कहा. एमएनएफ के अलावा भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और जोरम पीपुल्स मूवमेंट समेत अन्य विपक्षी दल भी रैलियों के समर्थन में अपने पार्टी कार्यालय बंद रहेंगे. प्रदर्शनों के मद्देनजर राज्य में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.

मिजोरम के पुलिस महानिदेशक अनिल शुक्ला ने सुरक्षा व्यवस्था का आकलन करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की और आइजोल में उन स्थानों का दौरा किया, जहां प्रदर्शन होने हैं. शुक्ला ने पुलिस अधिकारियों को सभी जिलों, विशेषकर संवेदनशील क्षेत्रों में उचित संख्या में बलों की तैनाती करने, गश्त करने और सतर्कता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके.

इंफाल में केंद्रीय मंत्री के घर पर फिर हमला
गौरतलब है कि इससे पहले केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के इंफाल स्थित आवास के बाहर महिलाओं की एक रैली ने उस वक्त उग्र रूप धारण कर लिया, जब प्रदर्शनकारियों ने उस पर पथराव किया. प्रदर्शनकारी, मंत्री से जातीय हिंसा प्रभावित राज्य में स्थिति पर संसद में बयान देने की मांग कर रहे थे. केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री सिंह के आवास पर दो महीने में हुआ यह दूसरा हमला है. इस बीच, मणिपुर विवि के छात्रों ने राज्य में शांति बहाल करने की मांग करते हुए दिन में एक रैली निकाली. चुराचांदपुर के तोरबुंग बाजार इलाके में हथियारबंद बदमाशों ने 10 खाली पड़े मकानों और एक स्कूल में आग लगा दी. पुलिस ने बताया कि बदमाशों की भीड़ के आगे सैकड़ों महिलाएं चल रही थीं. भीड़ ने हमले के दौरान कई गोलियां चलाईं और देसी बम फेंके.

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कांगपोकपी केस में 14 और की पहचान

पुलिस ने दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न संबंधी वीडियो के मामले में 14 और लोगों की पहचान की है. चार मई को कांगपोकपी जिले में हुई इस घटना के मामले में अब तक छह लोगों की गिरफ्तारी हुई है. यौन उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर पीआइएल दायर की गई है. वहीं, मणिपुर में यौन उत्पीड़न और हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए शीर्ष अदालत के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश के तहत एक स्वतंत्र समिति के गठन का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी है. अधिवक्ता विशाल तिवारी की जनहित याचिका में कहा गया है कि यह मणिपुर में कानून के शासन के उल्लंघन और दमनकारी क्रूरता, अराजकता के खिलाफ दायर की गयी है.

भाषा इनपुट के साभार

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