15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Odisha Train Accident: पिता की आस ने बेटे को मुर्दाघर से जिंदा वापस किया, जानें पूरी कहानी

कोलकाता के रहने वाले हेलाराम मलिक को यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कुछ घंटे पहले अपने जिस बेटे को उन्होंने शालीमार स्टेशन पर कोरोमंडल एक्सप्रेस में चढ़ाया था उसकी मौत ट्रेन एक्सीडेंट में हो सकती है.

ओडिशा ट्रेन दुर्घटना 2023 : हिंदी में एक कहावत है -जबतक सांस तबतक आस, इस कहावत के अर्थ को चरितार्थ कर दिया है एक पिता की आस ने जो यह मानने को तैयार ही नहीं था कि उसके बेटे की मौत ओडिशा रेल हादसे में हो गयी है और अंतत: उसकी आस ने उसके बेटे को जिंदा लौटा दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के अनुसार कोलकाता के रहने वाले हेलाराम मलिक को यह विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कुछ घंटे पहले अपने जिस बेटे को उन्होंने शालीमार स्टेशन पर कोरोमंडल एक्सप्रेस में चढ़ाया था उसकी मौत ट्रेन एक्सीडेंट में हो सकती है. यही वजह थी कि उन्होंने हावड़ा से बालासोर की 230 किलोमीटर की यात्रा तय की और अपने बेटे विश्वजीत मलिक को ढूंढ़ना शुरू किया और अंतत: उसे जिंदा अपने साथ लेकर गये.

दुर्घटना के बाद बेटे को किया फोन तो मिला ये जवाब

हावड़ा के रहने वाले और पेशे से दुकानदार हेलाराम मलिक को जैसे ही कोरोमंडल एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने की जानकारी मिली उन्होंने तुरंत अपने बेटे के मोबाइल पर फोन किया और उनकी किस्मत अच्छी थी कि विश्वजीत ने फोन उठा लिया और बताया कि वे अभी जीवित हैं, लेकिन बहुत पीड़ा में हैं. बस इतना सुनना था कि हेलाराम मलिक ने बालासोर जाने का निश्चय कर लिया.

अस्पताल में बेटे को तलाशते रहे हेलाराम

हेलाराम ने स्थिति की गंभीरता को समझा और अविलंब एक स्थानीय एंबुलेंस चालक पलाश पंडित से संपर्क किया और ओडिशा के बालासोर रवाना हो गये. उनके साथ उनके साले भी थे. अगले दिन वे देर रात बालासोर पहुंचे, कई अस्पतालों में पता करने के बाद भी उन्हें अपने बेटे की कोई सूचना नहीं मिली. लेकिन हेलाराम ने हिम्मत नहीं हारी और वे लगातार अपने बेटे के बारे में पता करते रहे. टाइम्स आॅफ इंडिया के अनुसार हेलाराम के साले ने बताया कि हमें कुछ लोगों ने कहा कि अगर अस्पताल में आपका बेटा नहीं मिल रहा तो आप स्कूल जाकर देखें, वहां शव रखे गये हैं. यह बात सुनकर उनके होश उड़ गये, लेकिन उनके पास कोई रास्ता नहीं था. वे उस अस्थायी मुर्दाघर पहुंचे और वहां उन्होंने जो देखा वह अचंभित करने वाला था.

मुर्दों के बीच पड़ा था विश्वजीत मलिक

हेलाराम का बेटा विश्वजीत वहां मुर्दों के बीच पड़ा था, लेकिन उसके दाहिने हाथ में तेज कंपन हो रहा था. हेलाराम और उसके साले दीपक दास ने विश्वजीत को तुरंत एंबुलेंस में डाला और उसे लेकर बालासोर अस्पताल गये जहां उसका इलाज हुआ. विश्वजीत बुरी तरह से घायल था और बेहोश था जिस वजह से उसे मृत मानकर मुर्दों के बीच रख दिया गया था. बालासोर अस्पताल में उसकी स्थिति को देखते हुए कटक मेडिकल काॅलेज रेफर कर दिया गया, लेकिन हेलाराम ने एक बांड साइन करके उसे कोलकाता ले गये जहां एसएसकेएम अस्पताल में उसका इलाज हो रहा है. उसकी स्थिति गंभीर है, कई आॅपरेशन हुए हैं, लेकिन वह जीवित है और अपनों के पास है.

Also Read: Odisha Train Accident: 48 घंटे बाद मौत के मुंह से जिंदा निकला असम का दुलाल, मलबे के नीचे था दबा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें