विपक्षी दलों ने सोमवार को नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है. उन्होंने यह भी कहा कि पैगंबर मोहम्मद पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी के लिए उन्हें गिरफ्तार किया जाए और भाजपा पर देश की छवि खराब करने का आरोप लगाया. इस विवादास्पद टिप्पणी पर सऊदी अरब, बहरीन, इंडोनेशिया, जॉर्डन, संयुक्त अरब अमीरात, अफगानिस्तान सहित कई अन्य मुस्लिम देश एक सुर में आलोचना करते दिखे.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मामले को सुलझाने की कोशिश के तहत सोमवार को अपनी प्रवक्ता नूपुर शर्मा को निलंबित कर दिया था और दिल्ली के मीडिया प्रमुख नवीन कुमार जिंदल को निष्कासित कर दिया था. कांग्रेस, आप, बसपा, सपा और वामपंथी दलों जैसे विपक्षी दलों ने इसे केवल ‘नाटक’ और ‘दिखावा’ करार देते हुए खारिज कर दिया और दोनों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की. शर्मा जहां अपनी टिप्पणी को लेकर विभिन्न शहरों में प्राथमिकी का सामना कर रही हैं, वहीं दिल्ली पुलिस ने अब उनकी शिकायत पर एक प्राथमिकी दर्ज की है, जिसमें उन्होंने जान से मारने की धमकी मिलने का आरोप लगाया है.
दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि प्राथमिकी आईपीसी की विभिन्न धाराओं जैसे 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 506 (आपराधिक धमकी), और 509 (एक महिला की लज्जा भंग करने से इरादे से शब्द, इशारा या कार्य) के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज की गई है. इस बीच, मुंबई पुलिस भाजपा की पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर दर्ज प्राथमिकी के संबंध में उनका बयान दर्ज कराने के लिए तलब करेगी. मुंबई के पुलिस आयुक्त संजय पांडे ने सोमवार को यह जानकारी दी.
एक मुस्लिम संगठन रजा अकादमी के संयुक्त सचिव इरफान शेख की ओर से नूपुर शर्मा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है. कांग्रेस ने ”कार्रवाई का नाटक” करने के बजाय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करने वालों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए भाजपा पर निशाना साधा. पार्टी ने पूछा कि आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? कांग्रेस ने कहा कि ऐसी गलतियों के लिए माफी मांगना देश के लिए अस्वीकार्य है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ”आंतरिक रूप से विभाजित भारत बाह्य रूप से कमजोर होता है. भाजपा की शर्मनाक कट्टरता ने सिर्फ हमें अलग-थलग ही नहीं कर दिया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को क्षति पहुंचाई है.”
वहीं कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ”अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिये सत्ताधारी भाजपा को देश की छवि पर आघात करने का अधिकार किसने दिया? क्या यह सही नहीं कि भाजपा प्रवक्ता कहती रही कि उसे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का समर्थन है? तो फिर उसे पदमुक्त क्यों किया गया?” एआईएमआईएम ने भाजपा पदाधिकारियों की तत्काल गिरफ्तारी की भी मांग की और कहा कि भाजपा की ”गलत नीतियो” के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि खराब हुई है. आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ”घृणा की राजनीति” के संरक्षण से देश का अपमान हुआ है.
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट किया, ”इतने छोटे-छोटे देशों की भारत जैसे महान देश को आंखें दिखाने की हिम्मत हो गयी? मोदी जी और भाजपा ने देश का क्या हाल कर दिया? आज हर भारतवासी बेहद पीड़ित है और उसके दुःख की सीमा नहीं.” इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की ओर से भाजपा के दो पदाधिकारियों की टिप्पणियों के लिए भारत की आलोचना करने के बाद विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा. कतर, ईरान और कुवैत जैसे देशों ने रविवार को भारतीय राजदूतों को तलब किया था और विरोध पत्र सौंपे थे. अपने दो पदाधिकारियों के खिलाफ उनकी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए भाजपा की कार्रवाई इसके शीर्ष नेतृत्व और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयानों के बाद हुई, जो उनके संगठनों को तीखी और जुझारू धार्मिक बयानबाजी से दूर रहने का समर्थन करते हैं.
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माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने सवाल किया कि भाजपा की तरफ से अपनी बात रखने वाले नेताओं को ”अराजक तत्व” कैसे कहा जा सकता है? उन्होंने कहा, ”भाजपा की तरफ से आधिकारिक जिम्मेदारी निभाने वाले नेताओं को अराजक तत्व नहीं कहा जा सकता.” विपक्षी दलों ने यह भी कहा कि देश भाजपा की गलती के लिये माफी नहीं मांगेगा. कांग्रेस ने कहा, ”भाजपा की गलती की माफी देश नहीं मांगेगा. भाजपा की गलती की माफी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मांगें. देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदा करने वाले असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई के नाम पर नाटक करने की बजाए उन्हें गिरफ्तार किया जाए.” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ”नूपुर शर्मा और नवीन कुमार ‘इस्लामोफोबिया’ (इस्लाम को लेकर दुराग्रह) के मूल रचयिता नहीं है, वे सिर्फ राजा के प्रति अधिक वफादार दिखाने का प्रयास कर रहे थे.”