Pegasus Issue: कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Congress MP Shashi Tharoor) के नेतृत्व वाली सूचना प्रौद्योगिकी संसदीय समिति (Information Technology Parliamentary Committee) ने कथित पेगासस जासूसी मामले में आज यानी बुधवार को सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और गृह मंत्रालय के अधिकारियों को संसद में पेश होने के लिए तलब किया है. शशि थरूर के नेतृत्व वाली संसदीय समिति में अधिकतर सदस्य भारतीय जनता पार्टी के हैं, जिन्होंने गृह मंत्रालय के अलावा सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों को समन जारी किए हैं.
Delhi: Officials of Ministry of Information Technology & Ministry of Home Affairs have been summoned by Congress MP Shashi Tharoor-led parliamentary panel on Information Technology to appear before it at Parliament over the alleged Pegasus snooping issue today
— ANI (@ANI) July 28, 2021
बता दें, सूचना प्रौद्योगिकी की संसदीय समिति की बैठक बुधवार को होगी. यह बैठक ‘नागरिक डाटा सुरक्षा और सिक्योरिटी’ मामले पर होगी. बैठक में नागरिकों के डाटा की सुरक्षा और उनकी गोपनीयता सबसे बड़ा मुद्दा रहेगा
बता दें, इससे पहले कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा था , यह साबित हो गया है कि भारत में जांचे गए फोन में पेगासस का आक्रमण था. चूंकि यह उत्पाद केवल सत्यापित सरकारों को बेचा जाता है, सवाल उठता है कि कौन सी सरकार? यदि भारत सरकार कहती है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया है, किसी अन्य सरकार ने किया है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता का विषय है.
If it turns out that it's our govt & it's authorized (to do it), GoI needs to give an explanation as the law only permits interception of communication for issues of national security, terrorism; otherwise, it's illegal. Essential for govt to cooperate in a probe: Shashi Tharoor
— ANI (@ANI) July 20, 2021
उन्होंने आगे कहा, यदि यह पता चलता है कि यह हमारी सरकार है और यह ऐसा करने के लिए अधिकृत है, तो भारत सरकार को स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता है क्योंकि कानून केवल राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के मुद्दों के लिए संचार के अवरोधन की अनुमति देता है. अन्यथा, यह अवैध है. जांच में सहयोग करना सरकार के लिए जरूरी है. वहीं केंद्र सरकार ने अपने स्तर पर खास लोगों की निगरानी संबंधी आरोपों को खारिज किया है. सरकार का कहना है कि इसका कोई ठोस आधार नहीं है.
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गौरतलब है कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टिमय ने दावा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए भारत के कुछ रसूखदार लोगों सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर, हो सकता है कि हैक किए गए हों.
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पेगासस स्पाइवेयर एक मोबाइल जासूसी किट (सॉफ्टवेयर) है, जो कथित तौर पर नागरिकों की जासूसी करने में सरकारों की मदद करता है. इसे इस्राइली कंपनी एनएसओ ने विकसित किया है. इसमें टारगेट यूजर के पास एक लिंक भेजा जाता है. जैसे ही यूजर लिंक को क्लिक करता है, उसके फोन में प्रोग्राम इंस्टॉल हो जाता है. इस वायरस का नवीनतम संस्करण काफी उन्नत किस्म का है. इसके फोन में दाखिल होने के लिए किसी लिंक पर क्लिक करने की भी आवश्यकता नहीं है.
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यह महज मिस्ड वीडियो कॉल के जरिये फोन में प्रवेश कर सकता है. एक बार मोबाइल में दाखिल हो जाने के बाद यह फोन कॉल, एसएमएस, व्हॉट्सएप मैसेज, ई-मेल, ब्राउज हिस्ट्री, पासवर्ड जैसी अनेक जानकारी चुरा सकता है. यह इतना प्रभावशाली है कि एनक्रिप्टेड मैसेज को भी चुरा सकता है. इसमें फोन के कैमरे और माइक को ऑन कर आसपास की गतिविधियां रिकॉर्ड करने की क्षमता भी है.
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यह सॉफ्टवेयर, यूजर के फोन से जानकारी चुराकर वाई-फाई या मोबाइल इंटरनेट के जरिये फोन से बाहर भी भेज सकता है. फोन में होने पर भी यह दिखायी नहीं देता है, न ही इसके होने पर फोन धीमा होता है. इसलिए यूजर को इसकी मौजूदगी का अहसास नहीं होता. इस सॉफ्टवेयर में खुद को नष्ट करने का विकल्प भी होता है.
Posted by : Achyut Kumar