पेगासस जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा, इस मामले में केस क्यों दर्ज नहीं किया गया. जिन लोगों ने इस मामले में अर्जी दायर की है, वह आईटी एक्स के तहत मामला दर्ज करा सकते थे. अगर इस मामले में आरोप सही हैं, तो यह बेहद गंभीर मामला है.
इस मामले पर याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए कपिल सिब्बल ने कहा, फोन पर जासूसी के जरिये लोगों के निजी जीवन में दखल देने की कोशिश की जा रही है. फोन के जरिये लोगों के जीवन में घुसपैठ करने की कोशिश की जा रही है.
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मैं हर एक मामले के तथ्यों की बात नहीं कर रहा, कुछ लोगों ने दावा किया है कि फोन इंटरसेप्ट किया गया है ऐसी शिकायतों के लिए टेलीग्राफ अधिनियम है .
इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच करेगी. इस मामले की गूंज संसद तक है और अब मामला कोर्ट में है. सदन में विपक्ष इस मामले की जांच के लिए सरकार को घेरता रहा है.
इस मामले को लेकर सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित हुई है. अब सुप्रीम कोर्ट में मामला है इस मामले की सुनवाई बेहद अहम है . वरिष्ठ पत्रकार एनराम और शशिकुमार, सीपीएम के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास और वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के लिए याचिका दायर की है.
पेगासस मामले में विपक्ष मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगा रहा है. इस मामले में दायर याचिका में भी याचिकाकर्ताओं ने सरकारी एजेंसियों द्वारा विशिष्ट नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की जासूसी का आरोप लगाया है.
याचिकाकर्ता चाहते हैं कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जांच का निर्देश दे. इस मामले में पत्रकारों की तरफ से कपिल सिब्बल ने अदालत में कहा था कि इस मामले में तत्काल सुनावई की जरूरत है . अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगी. याचिका में जासूसी को स्वतंत्रता के अधिकार का हनन बताया गया है.
अगर सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है. अगर किसी भी तरीके से निगरानी में उपयोग हुआ है, तो सरकार को इसकी जानकारी देनी चाहिए. आरोप है कि पत्रकार, नेताओं के साथ- साथ अदालत के कर्मचारियों के फोन की भी निगरानी की गयी है. 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबरों को इजराइल के पेगासस स्पाइवेयर के जरिये निगरानी के आरोप हैं.