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75वां स्वतंत्रता दिवस: लाल किले पर छलका पीएम मोदी का दर्द, ‘जय विज्ञान’ के बाद दिया ‘जय अनुसंधान’ का नारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले के प्राचीर से कई अहम घोषणाएं की. उन्होंने पांच प्राण के बारे में बताने के साथ पांच प्रण भी लिये और 'जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान' के बाद 'जय अनुसंधान' का नारा भी दिया.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले के प्राचीर से कई अहम घोषणाएं की. उन्होंने पांच प्राण के बारे में बताने के साथ पांच प्रण भी लिये और ‘जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान’ के बाद ‘जय अनुसंधान’ का नारा भी दिया. इसके साथ ही, लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दर्द भी छलका. वे भावुक भी हुए और भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाने के लिए देशवासियों का सहयोग भी मांगा.

1. मदर ऑफ डेमोक्रेसी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर आजादी के आंदोलन और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, वीर सावरकर और कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों एवं महापुरुषों को याद किया तथा उन्हें नमन किया. उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और विविधता इसकी ताकत है. मदर ऑफ डेमोक्रेसी है. जिनके ज़हन में लोकतंत्र होता है, वे जब संकल्प करके चल पड़ते हैं, वो सामर्थ्य दुनिया की बड़ी बड़ी सल्तनतों के लिए भी संकट का काल लेकर आती है. ये है मदर ऑफ डेमोक्रेसी.

2. गौरवगान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे भारत ने सिद्ध कर दिया कि हमारे पास ये अनमोल सामर्थ्य है. 75 साल की यात्रा में आशाएं, अपेक्षाएं, उतार-चढ़ाव सब के बीच हर एक के प्रयास से हम यहां तक पहुंच पाए. आज़ादी के बाद जन्मा मैं पहला व्यक्ति था, जिसे लाल किले से देशवासियों का गौरव गान करने का अवसर मिला. ये देश का सौभाग्य रहा है कि आज़ादी की जंग के कई रूप रहे हैं. उसमें एक रूप वो भी था जिसमें नारायण गुरु हो, स्वामी विवेकानंद हों, महर्षि अरविंदो हों, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर हों, ऐसे अनेक महापुरूष हिंदुस्तान के हर कोने में भारत की चेतना को जगाते रहे.

3. भारत का साझा सूत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि इस मिट्टी में ताकत है, कई चुनौतियों के बावजूद भारत रुका नहीं, झुका नहीं और आगे बढ़ता रहा. मैंने अपना पूरा कार्यकाल समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया है. हमारे देश ने यह साबित किया है कि हमने अपनी विविधता से मिल रही ताकत को अंतर्निहित किया है, देशभक्ति का साझा सूत्र भारत को अडिग बनाता है. भारत की भावना की मेरी समझ ने मुझे यह अहसास कराया कि नए भारत की तरक्की के लिए हमें समावेशी विकास सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.

4. पांच प्राण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच प्राणशक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए. दूसरा प्राण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना. तीसरी प्राण शक्ति- हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए… चौथा प्राण है- एकता और एकजुटता और पांचवां प्राण है- नागरिकों का कर्तव्य. इसमें प्रधानमंत्री भी बाहर नहीं होता है, राष्ट्रपति भी बाहर नहीं है. आने वाले 25 साल के लिए हमें उन पंच प्राण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा. 2047 जब आज़ादी के 100 साल होंगे, आज़ादी के दिवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा.

5. पांच प्रण

प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पांच प्रण लिये हैं. इसमें विकसित भारत, गुलामी के हर अंश से मुक्ति का प्रण, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता का प्रण और नागरिकों को अपने कर्तव्यपालन का प्रण शामिल है. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना. तीसरी प्रण शक्ति है कि हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए. यही विरासत है, जिसने भारत को स्वर्णिम काल दिया था. यह विरासत है जो समय समय पर परिवर्तन करने का सामर्थ्य रखती है. चौथा प्रण है एकता और एकजुटता. 130 करोड़ देशवासियों में एकजुटता. न कोई अपना न कोई पराया. एक भारत औऱ श्रेष्ठ भारत के लिए यह प्रण है.प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पांचवां प्रण है नागरिकों का कर्तव्य.

6. महात्मा गांधी का सपना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि भारत की भावना की मेरी समझ ने मुझे यह अहसास कराया कि नए भारत की तरक्की के लिए हमें समावेशी विकास सुनिश्चित करने की आवश्यकता है. मैंने कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति को सशक्त बनाने के महात्मा गांधी के सपने को साकार करने के लिए अपने आप को समर्पित कर दिया है. हमें गर्व है कि भारत में हर घर में आकांक्षाएं पल रही है, प्रत्येक भारतीय नए भारत की तरक्की के लिए उत्साहित है. पिछले तीन दिनों में ‘तिरंगे’ के लिए देश में जो उत्साह देखा गया है, कई विशेषज्ञों ने उसकी कल्पना तक नहीं की थी, यह देश के पुनर्जागरण का प्रतीक है.

7. भारत की त्रिशक्ति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि भारत को देखने का दुनिया का नजरिया बदल रहा है. ‘अमृत काल’ इस आकांक्षी समाज के सपनों और लक्ष्यों को पूरा करने का स्वर्णिम अवसर उपलब्ध करा रहा है. ‘हर घर तिरंगा’ हमारे गौरवशाली देश की भावना का जश्न मनाने के लिए पूरे देश के एक साथ आने का उदाहरण है. प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में भारत को सशक्त बना रहीं आकांक्षाओं, पुनर्जागरण और दुनिया की उम्मीदों की ‘त्रिशक्ति’ का जिक्र किया.

8. पीएम मोदी का लाल किले से छलका दर्द

पीएम मोदी का लाल किले से दर्द भी छलका. पीएम मोदी ने कहा, मेरी एक पीड़ा है, मेरा दर्द है. मैं इसे दर्द को देशवासियों के सामने नहीं कहूंगा तो कहां कहूंगा. पीएम मोदी ने कहा, आज किसी न किसी कारण से हमारे अंदर विकृति आई है, हमारे बोल चाल में. हमारे स्वभाव में, हम नारी का अपमान करते हैं. क्या हम स्वभाव से, संस्कार से, रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं. नारी का गौरव राष्ट्र के सपने पूरे करने में बहुत बड़ी पूंजी बनने वाला है, ये सामर्थ्य में देख रहा हूं.

9. जय अनुसंधान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से एक नया नारा दिया है. लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने इसमें जय विज्ञान जोड़ा. और अब इसमें जय अनुसंधान जोड़ने का समय आ गया है. अब जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान हो. जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे तभी तो ऊंचा उड़ेंगे और जब ऊंचा उड़ेंगे तभी तो विश्व को समाधान दे पाएंगे.

10. नर में नारायण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि हम जीव में भी शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं जो पौधे में परमात्मा देखते हैं. ये हमारा सामर्थ्य है, जब विश्व के सामने खुद गर्व करेंगे तो दुनिया करेगी. हमने देखा है कि कभी कभी हमारी प्रतिभा भाषा के बंधनों में बंध जाती है. ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है. हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए.

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11. नारियों का योगदान और बलिदान

जब तनाव की बात होती है तो लोगों को योग दिखता है, सामूहिक तनाव की बात होती है तो भारत की पारिवारिक व्यवस्था दिखती है. संयुक्त परिवार की एक पूंजी सदियों से हमारी माताओं के त्याग बलिदान के कारण परिवार नाम की जो व्यवस्था विकसित हुई, ये हमारी विरासत है जिसपर हम गर्व करते हैं.

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