मोदी सरकार ने मौजूदा बजट सत्र में कहा है कि साल 2004 से 2014 तक केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के श्वेत पत्र लाएगी. मोदी सरकार ने कहा है कि यूपीए के 10 सालों के आर्थिक कुप्रबंधन को लेकर संसद में मौजूदा सरकार श्वेत पत्र लाएगी. सूत्रों के हवाले से खबर है कि आगामी नौ या 10 फरवरी को केंद्र सरकार सदन में श्वेत पत्र पेश कर सकती है. श्वेत पत्र में यूपीए सरकार के दौरान आर्थिक कुप्रबंधन पर पत्र के माध्यम से भारत की आर्थिक बदहाली और अर्थव्यवस्था पर इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया जाएगा. इसमें उस समय उठाए जा सकने वाले सकारात्मक कदमों के असर के बारे में भी बात की जाएगी.
Modi government will bring a 'white paper' on the economic mismanagement of the UPA government. The session of Parliament has also been extended for one day for this very reason. The White Paper will elaborate on India's economic misery and its negative impacts on the economy…
— ANI (@ANI) February 6, 2024
2014 में भी उठी थी श्वेत पत्र लाने की मांग
मोदी सरकार सदन में यूपीए के कार्यकाल में दौरान वित्तीय अनियमितताओं के कारण श्वेत पत्र लाने की तैयारी कर रही है. यह पहला मौका नहीं है जब केंद्र की मोदी सरकार श्वेत पत्र ला रही है. साल 2014 में, जब पीएम मोदी ने सत्ता संभाला था, उस समय भी श्वेत पत्र लाने को भारी दबाव सरकार पर था. उस समय की अर्थव्यवस्था की हालत और यूपीए के ट्रैक रिकॉर्ड पर श्वेत पत्र लाने की मांग साल 2014 में जोर पकड़ रही थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट 2024-25 पेश करने के दौरान ही कह दिया था कि 2014 से पहले अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन पर श्वेत पत्र लाया जाएगा.
श्वेत पत्र में क्या बताएगी सरकार
गौरतलब है कि श्वेत पत्र में सरकार यह बताएगी कि भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत 2014 से पहले कैसी था और सत्ता में आने के बाद एनडीए सरकार इसमें सुधार के लिए कौन-कौन से कदम उठाए. अपने अंतरिम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कर दिया था कि 2014 में जब हमारी सरकार बनी थी तब अर्थव्यवस्था में कई बड़े सुधार किए गए.
क्या होता है श्वेत पत्र
मोदी सरकार यूपीए के दो कार्यकाल के दौरान आर्थिक गतिविधियों को लेकर श्वेत पत्र जारी कर रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर में श्वेत पत्र होता क्या है. दरअसल श्वेत पत्र एक तरह का आधिकारिक बयान होता है जिसे सरकार संसद के पटल पर रखती है. आमतौर पर विपक्ष श्वेत पत्र मांग करता है. वो ऐसे समय में जब विपक्ष को लगता है कि सरकार किसी खास मुद्दे पर बात स्पष्ट नहीं कर रही है. हालांकि श्वेत पत्र का कोई वैधानिक महत्व नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इसमें झूठ की गुंजाइश काफी कम होती है.
मोदी सरकार ने कांग्रेस पर बोला था जोरदार हमला
मोदी सरकार श्वेत पत्र ऐसे समय में ला रही है जब खुद पीएम मोदी ने सदन से विपक्ष खास कर कांग्रेस पर जोरदार हमला किया था. पीएम मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में कांग्रेस की परिवारवाद नीति पर हमला करते हुए कहा था कि एक ही प्रोडक्ट को बार-बार लॉन्च कर कांग्रेस ने अपनी ही दुकान में ताला लगाने की नौबत ला दी है. पीएम मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा था कि विपक्ष की जो हालत है उसके लिए कांग्रेस ही जिम्मेदार है.
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