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पीएम मोदी ने नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक का किया अनावरण, जानिए क्या है इसकी खासियत

अधिकारियों ने बताया कि नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक लगाने का काम आठ अलग-अलग चरणों से पूरा किया गया. इसमें मिट्टी से मॉडल बनाने से लेकर कंप्यूटर ग्राफिक तैयार करना और कांस्य निर्मित आकृति को पॉलिश करना शामिल है.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली स्थित नए संसद की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक का अनारण किया. इससे जुड़े अधिकारियों ने बताया कि कांसे से बनाया गया यह प्रतीक चिह्न 9,500 किलो वजनी है. इसकी ऊंचाई करीब 6.5 मीटर है. उन्होंने बताया कि इसे नए संसद भवन की छत पर बनाया गया है और प्रतीक को सहारा देने के लिए इसके आसपास करीब 6,500 किलोग्राम स्टील की एक संरचना का निर्माण किया गया है. मोदी ने इस दौरान संसद भवन के निर्माण कार्य में लगे मजदूरों से भी बातचीत की.

अधिकारियों ने बताया कि नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक लगाने का काम आठ अलग-अलग चरणों से पूरा किया गया. इसमें मिट्टी से मॉडल बनाने से लेकर कंप्यूटर ग्राफिक तैयार करना और कांस्य निर्मित आकृति को पॉलिश करना शामिल है. इस अशोक स्तंभ के निर्माण में 2000 से अधिक कर्मचारी लगे रहे. इस मौके पर पीएम मोदी के अलावा, लोकसभा के उपाध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पूरी आदि मौजूद रहे.

अशोक स्तंभ है भारत का राष्ट्रीय प्रतीक

भारत का राष्ट्रीय प्रतीक सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है. इसे अशोक स्तंभ भी कहा जाता है. मूल स्तंभ में शीर्ष पर चार सिंह हैं, जो एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए हैं. इसके नीचे घंटे के आकार के पद्म के ऊपर एक चित्र वल्लरी में एक हाथी, चौकड़ी भरता हुआ एक घोड़ा, एक सांड तथा एक सिंह की उभरी हुई मूर्तियां हैं. इसके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं. एक ही पत्थर को काट कर बनाए गए इस अशोक स्तंभ के ऊपर ‘धर्मचक्र’ बना हुआ है.

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राष्ट्रीय प्रतीक को सरकार ने कब किया अंगीकार

भारत राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को सरकार ने 26 जनवरी, 1950 को राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर अंगीकृत किया. इसमें केवल तीन सिंह दिखाई पड़ते हैं, चौथा दिखाई नहीं देता. पट्टी के मध्य में उभरी हुई नक्काशी में चक्र है, जिसके दाईं ओर एक सांड और बाईं ओर एक घोड़ा है. दाएं तथा बाएं छोरों पर अन्य चक्रों के किनारे हैं. फलक के नीचे मुंडकोपनिषद का सूत्र ‘सत्यमेव जयते’ देवनागरी लिपि में लिखा गया है. सत्यमेव जयते का मतलब सत्य की ही विजय होती है.

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