प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनवरी 2022 में पंजाब की यात्रा के दौरान हुई सुरक्षा में चूक के मामले में छह और पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है. निलंबित किए गए पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी के साथ ही इन छह पुलिसकर्मियों पर यह कार्रवाई की गई है. राज्य के गृह विभाग के 22 नवंबर के आदेश के अनुसार, दो पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारियों-परसोन सिंह और जगदीश कुमार, निरीक्षक जतिंदर सिंह और बलविंदर सिंह, उपनिरीक्षक जसवंत सिंह और सहायक उपनिरीक्षक रमेश कुमार को निलंबित कर दिया गया है.
वर्तमान में बठिंडा जिले में पदस्थ पुलिस अधीक्षक गुरबिंदर सिंह को शनिवार को निलंबित किया गया था. आदेश के अनुसार, सभी पुलिसकर्मियों को पंजाब सिविल सेवा नियम (सजा और अपील) 1970 की धारा आठ के तहत आरोपपत्र में नामित किया गया है. फिरोजपुर में पांच जनवरी 2022 को प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई नाकेबंदी के कारण प्रधानमंत्री मोदी का काफिला एक फ्लाईओवर पर फंस गया था, जिसके बाद उन्हें कार्यक्रम में शामिल हुए बिना पंजाब से लौटना पड़ा था और अपनी रैली रद्द करनी पड़ी थी.
इस सुरक्षा चूक की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा पिछले साल 12 जनवरी को एक समिति नियुक्त की गई थी, जिसने इसके लिए राज्य के कई अधिकारियों को दोषी ठहराया था. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले साल जनवरी में पंजाब दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा में हुई चूक को लेकर लापरवाही बरतने के आरोप में राज्य के पुलिस अधीक्षक रैंक के एक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया. घटना के समय पुलिस अधीक्षक (अभियान) के पद पर गुरबिंदर सिंह तैनात थे और वह फिरोजपुर में ड्यूटी पर थे.
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पंजाब गृह विभाग द्वारा बुधवार को जारी एक आदेश के अनुसार, वर्तमान में बठिंडा जिले में पुलिस अधीक्षक के रूप में पदस्थ गुरबिंदर सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. फिरोजपुर में, पांच जनवरी 2022 को प्रदर्शनकारियों की नाकेबंदी के कारण प्रधानमंत्री मोदी का काफिला एक फ्लाईओवर पर फंस गया था. इसके बाद वह रैली सहित अन्य कार्यक्रमों में शामिल हुए बिना पंजाब से दिल्ली लौट गए थे. पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले सुरक्षा में हुई चूक से एक बड़ा राजनीतिक विवाद पैदा हो गया था.
निलंबन आदेश के अनुसार, घटना पर 18 अक्टूबर 2023 की एक रिपोर्ट पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने सौंपी थी, जिसमें राज्य पुलिस प्रमुख ने कहा था कि सिंह ने अपनी ड्यूटी उपयुक्त रूप से नहीं की. पंजाबी भाषा में जारी आदेश में कहा गया है कि सक्षम प्राधिकारी के स्तर पर मामले पर विचार के बाद संबंधित अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया.
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सुरक्षा चूक की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने इससे पहले राज्य के कई अधिकारियों को इस चूक के लिए जिम्मेदार ठहराया था. शीर्ष अदालत ने पिछले साल 12 जनवरी को सुरक्षा चूक की जांच के लिए समिति नियुक्त करते हुए कहा था कि घटना से उपजे सवालों को “एकतरफा जांच” के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है.