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Constitution Day: पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- संविधान के लिए समर्पित सरकार, विकास में भेद नहीं करती

Constitution Day Programme दिल्ली में आयोजित संविधान दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि आजादी के लिए जीने-मरने वाले लोगों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों के प्रकाश में और हजारों साल की भारत की महान परंपरा को संजोए हुए, हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें संविधान दिया.

Constitution Day Programme दिल्ली में आयोजित संविधान दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि आजादी के लिए जीने-मरने वाले लोगों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों के प्रकाश में और हजारों साल की भारत की महान परंपरा को संजोए हुए, हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें संविधान दिया. पीएम मोदी ने कहा कि जो देश लगभग भारत के साथ आजाद हुए, वो आज हमसे काफी आगे हैं. मतलब अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान में समावेश पर कितना जोर दिया गया है, लेकिन आजादी के इतने दशकों बाद भी बड़ी संख्या में देश के लोग बहिष्करण को भोगने के लिए मजबूर रहे हैं. वो करोड़ों लोग जिनके घरों में शौचालय तक नहीं था, ​बिजली के अभाव में अंधेरे में अपनी जिंदगी बिता रहे थे, उनकी तकलीफ समझकर उनका जीवन आसान बनाने के लिए खुद को खपा देना मैं संविधान का असली सम्मान मानता हूं.

पीएम मोदी ने कहा कि सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास, ये संविधान की भावना का सबसे सशक्त प्रकटीकरण है. संविधान के लिए समर्पित सरकार, विकास में भेद नहीं करती और ये हमने करके दिखाया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि आज गरीब से गरीब को भी क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर तक वही पहुंच मिल रही है, जो कभी साधन संपन्न लोगों तक सीमित थी. आज लद्दाख, अंडमान और नॉर्थ ईस्ट के विकास पर देश का उतना ही फोकस है, जितना दिल्ली और मुंबई जैसे मेट्रो शहरों पर है.

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि जिन साधनों और मार्गों पर चलते हुए विकसित विश्व आज के मुकाम पर पहुंचा है. आज वही साधन और मार्ग विकासशील देशों के लिए बंद करने के प्रयास किए जाते हैं. पिछले दशकों में इसके लिए अलग-अलग शब्दावली का जाल रचा जाता है, लेकिन उद्देश्य एक ही रहा विकासशील देशों की प्रगति को रोकना.

पीएम ने कहा कि हम पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले प्राप्त करने की ओर अग्रसर एकमात्र देश हैं. फिर भी ऐसे भारत पर पर्यावरण के नाम पर तरह-तरह के दबाव बनाए जाते हैं. यह सब उपनिवेशवादी मानसिकता का ही परिणाम है. लेकिन, दुर्भाग्य यह है कि हमारे देश में भी ऐसी ही मानसिकता के चलते अपने ही देश के विकास में रोड़े अटकाए जाते हैं. कभी अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता के नाम पर तो कभी किसी और चीज का सहारा लेकर ऐसा किया जाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के आंदोलन में पैदा हुई संकल्प शक्ति को और अधिक मजबूत करने में उपनिवेशवादी मानसिकता बहुत बड़ी बाधा है, हमें इसे दूर करना ही होगा. इसके लिए हमारा सबसे बड़ा प्रेरणा स्त्रोत हमारा संविधान है. उन्होंने कहा कि आज कोई भी राष्ट्र सीधे तौर पर किसी अन्य राष्ट्र के उपनिवेश के रूप में मौजूद नहीं है. लेकिन, इसका मतलब यह नहीं है कि औपनिवेशिक मानसिकता समाप्त हो गई है. यह मानसिकता कई विकृतियों को जन्म दे रही है. विकासशील देशों की विकास यात्रा में आने वाली बाधाओं में हम इसका स्पष्ट उदाहरण देख सकते हैं.

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