राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिला आरक्षण बिल ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही यह बिल कानून बन गया है. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद भारत सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक को लेकर गजट अधिसूचना जारी कर दी है. इस बिल के कानून बनते ही लोकसभा और राज्यविधानसभा की 33 प्रतिशत सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो गई है, यानी कि लोकसभा की 543 सीट में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी. महिला आरक्षण बिल मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक था जिसे राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी दे दी है. इसे अब आधिकारिक तौर पर संविधान के (106वां संशोधन) अधिनियम के रूप में जाना जायेगा. इसके प्रावधान के अनुसार, ‘‘आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित केंद्र सरकार की अधिसूचना की तारीख से यह प्रभावी होगा.
Government of India issues a gazette notification for the Women's Reservation Bill after it received the assent of President Droupadi Murmu. pic.twitter.com/GvDI2lGF1C
— ANI (@ANI) September 29, 2023
Also Read: महिला आरक्षण बिल मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक, जानें ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ की बड़ी बातें..
इस बिल के प्रावधानों के अनुसार लोकसभा की 543 सीट में से 181 अब महिलाओं के लिए आरक्षित होगी. आरक्षण का प्रावधान 15 वर्षों के लिए लागू रहेगा. उसके बाद इसकी अवधि बढ़ाने पर फैसला संसद को करना होगा. यह संविधान का 128वां संशोधन विधेयक है. ‘नारी शक्ति वंदनअधिनियम’ के तहत एससी-एसटी वर्ग की महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था नहीं होगी, लेकिन जो सीटें एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं उनमें से 33 प्रतिशत अब महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. वहीं ओबीसी महिलाओं के लिए बिल में अलग से आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं है. उन्हें अनारक्षित सीटों पर ही चुनाव लड़ना होगा.
महिला आरक्षण विधेयक को सभी पार्टियों ने अपना समर्थन दिया है. एकमात्र असदुद्दीन ओवैसी ने बिल को अपना समर्थन नहीं दिया था.