पंजाब विधानसभा में मंगलवार को पंजाब विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक- 2023 संक्षिप्त बहस के बाद पारित हो गया है. इस विधेयक के पारित होने होने से अब राज्य विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री होंगे. सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के अलावा शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के इकलौते विधायक ने इस विधेयक का समर्थन किया.
आपको बताएं की इस विधेयक के पारित होने के पूर्व मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के बीच खुलकर मतभेद सामने आए थे. जिसमें कुलपति पद के लिए राज्य सरकार की ओर से किये गये कुछ चयन भी शामिल हैं. विधेयक पर बहस के दौरान मान ने कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में भी इसी तरह का विधेयक पिछले साल पारित किया गया था. वहीं पिछले साल दिसंबर में केरल विधानसभा ने राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति राज्यपाल को नहीं बनाकर प्रतिष्ठित शिक्षाविदों को शीर्ष पद पर नियुक्त करने के लिए एक विधेयक पारित किया था.
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, ‘‘यदि हम किसी विश्वविद्यालय का कुलपति नहीं नियुक्त कर सकते हैं, तो यह हमें मिले जनादेश का असम्मान है.’’ उन्होंने दावा किया कि पुरोहित ने पिछले साल कुछ कुलपतियों की नियुक्ति में बाधा उत्पन्न की थी. मान ने कहा, ‘‘वह मेरा हेलीकॉप्टर (सरकारी हेलीकॉप्टर) लेतें हैं और फिर मुझसे दुर्व्यवहार करते हैं… मुझे नहीं लगता कि इतने हस्तक्षेप की जरूरत है. उनका कर्तव्य शपथ दिलाना है… इसका मतलब यह नहीं है कि वह हर छोटी चीज के लिए परेशानी खड़ी करें.’’
मान ने आरोप लगाया कि पंजाब और पंजाबियों के हित की रक्षा करने के बजाय राज्यपाल अक्सर दूसरी तरफ खड़े होते हैं. उन्होंने चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय का हवाला देते हुए दावा किया कि राज्यपाल हरियाणा के पक्ष में कदम उठाते रहे हैं, ताकि विश्वविद्यालय की सीनेट में हरियाणा के प्रवेश को अनुमति दी जा सके
इस विधेयक को दोपहर में पेश किए जाने से पहले कांग्रेस सदस्यों ने वर्तमान सत्र में प्रश्नकाल या शून्यकाल का कोई प्रावधान नहीं होने के विरोध में पंजाब विधानसभा से वाकआउट किया. विधेयक में कहा गया है कि पंजाब के राज्यपाल अपने पद के कारण राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं, लेकिन राज्यपाल एक संवैधानिक पद भी धारण करता है और उसे भारत के संविधान के तहत प्रदत्त विभिन्न संवैधानिक कार्यों का निर्वहन भी करना होता है.
विधेयक में कहा गया है, ‘‘भारत सरकार ने न्यायमूर्ति एम. एम. पुंछी की अध्यक्षता में केंद्र-राज्य संबंधों पर आयोग का गठन किया था जिसने विश्वविद्यालयों के कुलपति के संबंध में राज्यपाल की स्थिति के इस पहलू पर प्रकाश डाला है. आयोग ने कहा कि राज्यपाल पर उन पदों और शक्तियों का बोझ नहीं डालना चाहिए जिनका उल्लेख संविधान में नहीं है, क्योंकि इससे विवाद पैदा हो सकता है.’’ विधेयक में कहा गया है कि यह जरूरी समझा गया कि विश्वविद्यालयों के कानून में संशोधन किया जाए ताकि पंजाब के मुख्यमंत्री को प्रांत के सभी राज्य विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाया जा सके.