पंजाब : पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ लड़ाई तेज कर दी है. किसान संगठनों ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में राजनीतिक दलों की एक बैठक बुलायी है, जिससे भाजपा को दूर रखा गया है. किसानों की इस बैठक में पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू सहित शिरोमणी अकाली दल और आप के कई नेता शामिल हुए हैं.
इधर, हरियाणा के करनाल में किसानों का धरना प्रदर्शन आज चौथे दिन भी जारी है. पिछले महीने किसानों पर लाठीचार्ज का विरोध कर रहे किसान एसडीएम आयुष सिन्हा पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. प्रशासन के आश्वासन और लगातार समझाने के बाद भी किसान मान नहीं रहे हैं और अपनी मांग पर अड़े हुए हैं. वैसे कृषि कानूनों को लेकर किसानों का देश भर में प्रदर्शन जारी है.
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पंजाब की बात करें तो आज चंडीगढ़ में चल रही बैठक में 32 किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं. उन्हें कई राजनेताओं का समर्थन भी मिल रहा है. गैर एनडीए दल किसानों के समर्थन में खड़े हैं. राजनीति से दूर रहने का दावा करने वाले किसान नेता अब राजनीतिक दलों से समर्थन की आस लगाये बैठे हैं. कई नेता किसानों के मंच का राजनीतिक लाभ भी उठाना चाहते हैं.
पिछले दिनों यूपी के मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत में हजारों किसान जुटे थे. उस महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि किसानों के मंच का राजनीतिक इस्तेमाल नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि चुनाव से हमारा कोई लेना-देना नहीं है. हम केवल राजनीतिक दलों का समर्थन चाहते हैं कि कृषि कानूनों को लेकर सरकार पर दबाव बनाया जाए.
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किसान नेता चाहते हैं कि पंजाब विधानसभा चुनाव का एलान होने तक कोई भी राजनीतिक दल चुनाव प्रचार न करें. जम्हूरी किसान सभा के महासचिव कुलवंत सिंह संधू ने कल ही कहा था कि कृषि कानूनों का समर्थन करने वाली भाजपा को बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है. बता दें कि किसानों के समर्थन में शिरोमणी अकाली दल ने एनडीए में मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
Posted By: Amlesh Nandan.