देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य में भाजपा सरकार का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा हो गया है. इस एक साल में प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री धामी की अगुवाई में तमाम चुनावी वादों को पूर्ण करने में कामयाब रही तो तात्कालिक परिस्थितियों के लिहाज से भी सरकार महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पीछे नहीं हटी.
‘धामी सरकार’ ने हासिल की कई उपलब्धियां
धर्मान्तरण पर रोक के लिए कानून समेत नकल विरोधी कानून, प्रदेश की महिलाओं को सरकारी नौकरी में 30 प्रतिशत क्षेतिज आरक्षण, अंत्योदय परिवारों को वर्ष में तीन सिलेंडर निःशुल्क भरवाने की सुविधा, समान नागरिक सहिंता व हाल ही में ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण से राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत आरक्षण जैसे अहम निर्णयों ने दर्शाया है कि राज्य सरकार में जनहित सर्वोपरी है.
राज्य सरकार एक वर्ष के कार्यकाल में जहां तमाम बड़े निर्णय लेने में कामयाब रही तो राज्य में अफसरशाही को केंद्र बिंदु में रखकर पहली बार मसूरी में तीन दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन हुआ. इस शिविर के आयोजन के पीछे सरकार का ध्येय यही था कि अधिकारी पुराने ढर्रे को छोड़ नए विचारों और नई कार्यसंस्कृति के अनूरूप कार्य करें. इस शिविर में मुख्यमंत्री द्वारा दिये गए ऐतिहासिक उद्बोधन ने नौकरशाही में नई ऊर्जा का संचार करने का कार्य किया.
राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में इसी मार्च माह में बजट सत्र आयोजित किया गया. जिसमें जनहित के तमाम महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए तो सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में हो, ये केवल जुमला नहीं बल्कि वास्तव में इसे आत्मसात भी किया जा रहा है.
उत्तराखंड की धामी सरकार ने एक साल के भीतर जी अहम निर्णय लिए जिनमें, भर्ती माफिया पर कड़ा प्रहार करते हुए देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया गया है, प्रदेश की मातृ शक्ति के हितों की रक्षा के लिए राज्य सरकार की नौकरियों में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की गई, जबरन और प्रलोभन से धर्मांतरण पर रोक के लिए सख्त कानून लाया गया, समान नागरिक संहिता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही सरकार, अंत्योदय परिवारों को एक वर्ष में तीन गैस सिलिंडर निःशुल्क रिफिल की सुविधा का आगाज हुआ.
इसके साथ ही लखपती दीदी योजना में वर्ष 2025 तक प्रदेश की 1.25 लाख महिलाओं को लखपति बनाने की पहल शुरू हुई, राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया. चारधाम और कांवड़ यात्रा में कुशल प्रबंधन से रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु आए. केदारनाथ धाम और बदरीनाथ धाम की तर्ज पर मानसखंड मंदिर माला मिशन के अंतर्गत कुमाऊं के पौराणिक और प्राचीन मंदिर क्षेत्रो में विकास कार्य हुआ.