धनबाद, देवेंद्र कुमार. एक दौर था, जब समझा जाता था कि संस्कारी महिलाओं का काम सिर्फ चूल्हा-चौका संभालना और परिवार की देखरेख करना है, लेकिन अब महिलाएं सिर्फ चूल्हा-चौका तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि वे आज हर क्षेत्र में इनोवेटिव आइडियाज ला रही हैं और नये बिजनेस मॉडल खड़ी कर रही हैं. यानी बदलते समय के साथ आंत्रप्रेन्योरशिप में महिलाओं का दखल बढ़ा है. इसकी साक्षात मिसाल हैं केरल की राधा वेंबू. दरअसल, हाल ही में एम3एम हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट 2023 जारी की गयी है. इसमें जोहो की सह संस्थापक राधा वेंबू दुनिया की दूसरी सबसे अमीर सेल्फ मेड महिला बनकर उभरी हैं.
लिस्ट में 247 सेल्फ मेड महिलाओं को किया गया शामिल
बीते दिनों एम3एम हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट जारी हुई है, जिसमें 247 सेल्फ मेड महिलाओं को शामिल किया गया था. इसमें से 81 फीसदी महिलाएं चीन से हैं. वहीं, भारत की 10 महिला अरबपतियों को और अमेरिका की 102 महिला अरबपतियों को शामिल किया गया. सेल्फ मेड वुमेन मामले में इस बार भारत की राधा वेंबू ने बाजी मारी हैं. वह दुनिया की सबसे अमीर सेल्फ मेड वुमेन बन चुकी हैं. इसी के साथ उन्होंने भारत को गौरव का एक मौका दिया है. राधा वेबू ने हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट में पिछले साल की तुलना में 103 रैंक की छलांग लगायी है. उनकी कुल संपत्ति 400 करोड़ डॉलर हो चुकी है. भारत की 10 अरबपति महिलाओं में से वह सबसे अमीर सेल्फ मेड वुमेन बन गयी हैं. इस लिस्ट में लॉरिअल के संस्थापक की पोती फ्रेंकोइस बेटेनकोर्ट मेयर्स दुनिया की सबसे अमीर महिला हैं. उनकी कुल संपत्ति 80 अरब डॉलर है.
बेहद ही साधारण परिवार में पली-बढ़ी हैं राधा वेंबू
दुनिया की दूसरी सबसे अमीर महिला राधा वेंबू का जन्म 24 दिसंबर, 1972 को चेन्नई, तमिलनाडु में एक साधारण परिवार में हुआ था. उनके पिता सांबामूर्ति वेंबू मद्रास उच्च न्यायालय में एक स्टेनग्राफर का काम करते थे. घर में पढ़ाई का पूरा माहौल था. राधा के चार भाई-बहन हैं. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई चेन्नई के ही एक सरकारी स्कूल नेशनल हायर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की. इसके बाद उन्होंने मद्रास के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंडस्ट्रियल मैनेजमेंट में डिग्री हासिल की. साल 1992 में आइआइटी, मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में अपनी डिग्री पूरी करने के बाद राधा वेंबू ने संयुक्त राज्य अमेरिका की क्वालकॉम और एप्पल जैसी नामचीन कंपनियों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की. हालांकि, करीब चार साल तक वहां रहने के बाद जल्द ही वह साल 1996 में भारत लौट आयीं और खुद का वेंचर शुरू करने का फैसला किया.
साल 1996 में बड़े भाई के साथ मिलकर शुरू की टेक कंपनी
साल 1996 में राधा के बड़े भाई श्रीधर वेंबू ने अपनी सॉफ्वेयर कंपनी शुरू की, जिसका नाम एडवेननेट था. अमेरिका से लौटने के बाद राधा भी अपने बड़े भाई के साथ एडवेननेट से जुड़ गयीं. इस दौरान राधा ने अपनी कौशल और मेहनत के बल पर कंपनी को एक खास पहचान दिलायी. इसी बीच साल 2009 में एडवेननेट का जोहो कॉरपोरेशन में विलय हो गया और उसने विस्तार करना शुरू कर दिया. राधा ने 2009 में जोहो मेल के उत्पाद प्रबंधक के रूप में इस कंपनी में शामिल हुईं और आज तक उसी पद पर हैं.
जोहो दुनिया के शीर्ष पांच व्यावसायिक ईमेल प्रदाताओं में से एक
माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी दिग्गज टेक कंपनियों की मौजूदगी के बावजूद राधा के मार्गदर्शन और कड़ी मेहनत के चलते जोहो दुनिया के शीर्ष पांच व्यावसायिक ईमेल प्रदाताओं में से एक बन गयी. राधा आज खुद जोहो को मैनेज करती हैं, जिसमें 250 सदस्यों की एक टीम है. वह जोहो कॉरपोरेशन के सभी प्रोडक्टर की भी देख-रेख करती हैं. जनवरी 2020 में ही जोहो की पहुंच पांच करोड़ कस्टमर्स तक पहुंच गयी, जिसका नेट वर्थ बिलियन डॉलर है. हैरानी की बात है कि कंपनी को जॉइन करने से लेकर आज तक राधा ने अपनी डेजिग्नेशन नहीं बदली है. फिलहाल, वह अपने बेटे और पति के साथ चेन्नई में रहती हैं. अरबपति होने के बाद भी राधा लो प्रोफाइल जिंदगी जीने में यकीन रखती हैं और सोशल मीडिया से काफी दूर रहती हैं.
Also Read: धनबाद : सुदूर इलाकों में शुरू होगी बाइक एंबुलेंस सेवा, अस्पताल पहुंचाने पर मिलेंगे 1250 रुपये
राधा के नेतृत्व में वैश्विक कंपनी बनी जोहो कॉरपोरेशन
शुरुआत में जोहो कॉरपोरेशन का फोकस वेब-आधारित प्रोडक्टविटी टूल्स, जैसे वर्ड प्रोसेसिंग, स्प्रेडशीट और प्रेजेंटेशन सॉफ्टवेयर पर था. हालांकि, बाद में सीआरएम, एचआर, अकाउंट और प्रोजेक्ट मैनेजटमेंट जैसे 45 से अधिक इंटीग्रेटेड एप्लीकेशन्स के एक सूट को शामिल करने के लिए कंपनी ने अपने पोर्टफोलियो का विस्तार किया. राधा के नेतृत्व में जोहो कॉरपोरेशन पांच करोड़ से अधिक यूजर्स और दुनिया भर में 8,000 से अधिक कर्मचारियों के साथ एक वैश्विक कंपनी बन गयी है.
कई उल्लेखनीय मील के पत्थर हासिल किये
राधा की बदौलत कंपनी ने साल 2021 में सीआरएम कस्टमर एंगेजमेंट सेंटर के लिए गार्टनर मैजिक क्वाड्रंट में “लीडर” नामित होने सहित कई उल्लेखनीय मील के पत्थर भी हासिल किये. राधा अपने बेहतरीन प्रबंधन कौशल के लिए भी जानी जाती हैं. वह हमेशा पूंजीपतियों की भागीदारी के बिना कंपनी को निजी रखने और किफायती मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण सॉफ्टवेयर प्रदान करने में विश्वास करती हैं. यही कारण है कि जोहो आज माइक्रोसॉफ्ट व सेल्सफोर्स जैसी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनियों को टक्कर दे रही है. राधा का मानना है कि कर्मचारियों को निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाकर, जोहो तेजी से बदलते उद्योग में टिका रह सकता है. वह एक ऐसे वर्क कल्चर पर जोर देती हैं, जिसमें विश्वास, सम्मान व ग्राहकों की संतुष्टि शामिल है.
सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर लेती हैं हिस्सा
जोहो कॉरपोरशन में अपने काम के अलावा, राधा जोहो फाउंडेशन के माध्यम से सामाजिक कार्यों भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं. कंप्यूटर शिक्षा और शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के साथ-साथ फाउंडेशन भारत के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के क्षेत्र में काफी उल्लेखनीय काम करता है. जोहो फाउंडेशन आपदा राहत प्रयासों में भी सक्रिय रहा है. भारत में प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ितों को सहायता प्रदान करता है. राधा की उद्यमशीलता की यात्रा और जोहो के लिए उनका विजन टेक इंडस्ट्री में नवाचार और दृढ़ता की शक्ति का एक वसीयतनामा है. अपने मूल्यों के प्रति सच्चे रहकर और ग्राहकों और कर्मचारियों की जरूरतों को प्राथमिकता देकर उन्होंने एक सफल कंपनी का निर्माण किया है, जिसने सॉफ्टवेयर की दुनिया में अहम प्रभाव डाला है.