सूरत : मोदी सरनेम को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी खिलाफ मानहानि के केस में सूरत की सत्र अदालत में गुरुवार को सुनवाई की गई. सजा पर रोक लगाने की मांग को लेकर राहुल गांधी की ओर से याचिका दायर की गई. यह याचिका तीन अप्रैल को दायर की गई थी. गुरुवार को राहुल गांधी के वकील आरएस चीमा ने सत्र अदालत में ट्रायल कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के लिए दलीलें पेश की. राहुल गांधी के वकील आरएस चीमा ने अदालत से कहा कि राहुल गांधी ने केरल की वायनाड सीट से रिकॉर्ड अंतर से जीत हासिल की और अयोग्य करार दिए जाने से अपूर्णीय क्षति होगी.
पीएम मे आलोचक होने के नाते किया गया केस
बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी के वकील आरएस चीमा ने अदालत से कहा कि केवल पीड़ित व्यक्ति ही शिकायत दर्ज करा सकता है. उन्होंने कहा कि मेरा (राहुल गांधी का) का बयान अपमानजनक नहीं है, जब तक कि उसे संदर्भ से अलग पेश न किया जाए. उन्होंने कहा कि भाषण के बाल की खाल निकालकर इसे अपमानजनक बताया गया है. वास्तव में प्रधानमंत्री का मुखर आलोचक होने की वजह से मुझ पर केस किया गया है और ट्रायल काफी कठोर और अनुचित था.
शिकायतकर्ता की भौगोलिक मौजूदगी पर सवाल
शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की भौगोलिक मौजूदगी का जिक्र करते हुए राहुल गांधी के वकील आरएस चीमा ने कहा कि भाषण कर्नाटक के कोलार में दिया गया और शिकायतकर्ता को व्हाट्सऐप के जरिए संदेश भेजा गया था. उन्होंने कहा कि यदि कोई कहता है कि तुम पंजाबी झगड़ालू और गाली देने वाला हो, तो क्या मैं मानहानि का केस कर सकता हूं? ऐसे शब्द आमतौर पर गुजराती और अन्य भाषाई और धार्मिक समूहों के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं.
दोषी करार देते ही सुनाई गई सजा
राहुल गांधी के वकील ने आगे कहा कि 11 बजकर 51 मिनट पर मेरे मुवक्किल को दोषी करार दिया गया और आधे घंटे के बाद उन्हें कठोरतम सजा सुना दी गई. मैं ट्रायल कोर्ट के यह कहने पर हैरानी जाहिर करना चाहता हूं कि ‘आपको सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी, बड़े ढीठ हो, आप कुछ नहीं समझे. मुझे माफ कीजिए मैं कठोर शब्दों का इस्तेमाल कर रहा हूं, लेकिन जज को भ्रमित किया गया और वे कठोर थे.’
सुप्रीम कोर्ट में राहुल ने मांगी थी माफी
राहुल गांधी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने सुप्रीम कोर्ट से ‘चौकीदार चोर’ टिप्पणी के लिए नवंबर 2019 में माफी मांगी थी, जबकि यह ‘मोदी सरनेम’ वाली टिप्पणी अप्रैल 2019 में की गई थी. उन्होंने कहा कि मुझे सर्वोच्च अदालत ने फटकार लगाई थी?