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राजनाथ सिंह ने कहा- सौराष्ट्र-तमिल संगम में दिखी भारत के सांस्कृतिक वैभव की झलक, गुजरात- तमिलनाडु का हुआ मिलन

राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमा सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, साइबर सुरक्षा के साथ-साथ आज देश में संस्कृति की सुरक्षा भी अनिवार्य है.

सौराष्ट्र-तमिल संगम कार्यक्रम के शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि विश्व के प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ महादेव के सान्निध्य में तमिलनाडु तथा गुजरात दो प्रदेशों का मिलन हुआ है. यह मिलन भारत के सांस्कृतिक वैभव के दर्शन कराता है. राजनाथ सिंह ने कहा कि सीमा सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, साइबर सुरक्षा के साथ-साथ आज देश में संस्कृति की सुरक्षा भी अनिवार्य है. किसी भी राष्ट्र की सीमा को सुरक्षित रखने के लिए सीमा सुरक्षा आवश्यक है, उसी प्रकार उसकी अस्मिता बनाये रखने के लिए सांस्कृतिक सुरक्षा भी बहुत ही आवश्यक है.

एक भारत-श्रेष्ठ भारत का सपना हुआ साकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में गुजरात में सौराष्ट्र-तमिल संगम कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में तमिलनाडु से आने वाले तमिल लोगों को भगवान सोमनाथ और उनकी पैतृक भूमि के दर्शन का अवसर मिला है. इस कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी उपस्थित थे.

सांस्कृतिक पुनर्जागरण का युग

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन व नेतृत्व में इस दिशा में अभूतपूर्व कार्य हो रहे हैं. हम देश के सांस्कृतिक पुनर्जागरण युग के साक्षी बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के प्रयासों से पूर्व में काशी-तमिल संगम का भव्य आयोजन हुआ था. इस प्रकार के आयोजन भारत की विभिन्न संस्कृतियों के बीच संबंधों को और मजबूत करने वाले और देश की एकता को दृढ़ करने वाले होते हैं. भारत एक विचार के साथ-साथ एक ऐसी अनुभूति भी है, जिसकी व्याख्या शब्दों से नहीं की जा सकती.

सौराष्ट्र-तमिल संगम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्‌’ का उदाहरण

राजनाथ सिंह ने कहा कि दूध में चीनी की भांति एक-दूसरे के साथ घुल-मिल जाना और दूसरों को अपना लेना भारतीय संस्कृति की विशेषता है. सौराष्ट्र-तमिल संगम ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का एक श्रेष्ठ उदाहरण है. ऐसे मूल सौराष्ट्र वासी तमिल आज जब अपने पैतृक भूमि की यात्रा पर आये हैं, तब ऐसा संगम लग रहा है, जैसे भारत के पश्चिमी समुद्र का जल दक्षिणी समुद्र के जल के साथ एक हो रहा हो. रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि आज का कार्यक्रम वर्ष 2006 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी द्वारा तमिल बंधुओं को आमंत्रित किए जाने के कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है.

ऐतिहासिक मिलन

इस मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सौराष्ट्र-तमिल संगम कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में भगवान सोमनाथ महादेव के पवित्र सान्निध्य में यह ऐतिहासिक मिलन सृजित हुआ है. उन्होंने तमिल बंधुओं से अनुरोध किया कि वे गुजरात के विभिन्न तीर्थ स्थानों और दूसरे प्रसिद्ध स्थलों भमण जरूर करें. उन्होंने कहा कि भारत में विभिन्न भाषाएं व संस्कृति हैं, परंतु ये अलग-अलग संस्कृति, ध्येय और भावना से सभी एक सूत्र में जुड़े हुए हैं.

तमिलनाडु से पधारे लोगों का स्वागत

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने सौराष्ट्र-तमिल संगम के शुभारंभ अवसर पर तमिलनाडु से पधारे बंधुओं का स्वागत करते हुए कहा कि अपने धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए समुद्री मार्ग से पलायन कर तमिलनाडु गए सौराष्ट्र मूल के तमिल लोग फिर से प्रथम ज्योतिर्लिंग भगवान सोमनाथ के सान्निध्य में अपनी पैतृक भूमि पर आये जो उनके लिए बड़ा अवसर है.

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