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कभी छोड़ दी थी सरकारी नौकरी, आज हैं किसानों के सबसे बड़े नेता, जानिये राकेश टिकैट के एसआई से किसान नेता बनने तक का सफर

जिसकी एक दहाड़ पर हजारों किसान कड़ाके की सर्दी में दिल्ली के बार्डर पर आंदोलन को उतारु हो गये. जिसके एक आंसु पर फिर से जुट गया किसानों का हुजूम... जी हां, हम बात कर रहे किसानों नेता और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की

जिसकी एक दहाड़ पर हजारों किसान कड़ाके की सर्दी में दिल्ली के बार्डर पर आंदोलन को उतारु हो गये. जिसके एक आंसु पर फिर से जुट गया किसानों का हुजूम… जी हां, हम बात कर रहे किसानों नेता और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की. जिनपर आज शायद किसान सबसे ज्यादा भरोसा करता है. और करें भी क्यों नहीं राकेश टिकैट ने कभी किसानों के हक के लिए अपनी सरकारी नौकरी भी छोड़ दी थी.

अब सवाल उठता है कि जिसकी एक आवाज पर हजारों किसान एकजुट होकर कूच कर जाते हैं, वो राकेश टिकैत हैं कौन और क्यों किसानों का एक बड़ा वर्ग उन्हें इतना तवज्जों देता है. तो आइये आज हम आपको बताते हैं कि आखिर कौन है राकेश टिकेट और कैसे ये बन गये किसानों के इतने बड़ा नेता.

किसानों के सबसे बड़ा नेता के रूप में विख्यात राकेश टिकैत का जन्म 4 जून 1969 को यूपी के सिसौली गांव में हुआ था. किसान नेता की विरासत इन्हें अपने पिता से मिली थी. दरअसल, उनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत भी किसान नेता थे. राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए किया है. इसके बाद ये दिल्ली पुलिुस में भर्ती हो गये. और बतौर एसआई नौकरी की.

दरअसल, 90 के दशक में दिल्ली के लाल किले पर राकेश टिकैत के पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था. ऐसे में राकेश टिकैत पर सरकार की ओर से दबाव बनाया जाने लगा कि आंदोलन खत्म कराने के लिए वो अपने परिवार और पिता से बात करें. लेकिन राकेश टिकैट दबाव के आगे नहीं झुके, और सरकारी नौकरी छोड़कर खुद आंदोलन का हिस्सा बन गये.

नौकरी छोड़ने के बाद राकेश टिकैत ने पूरी तरह से किसानों की लड़ाई में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. इसके बाद से ही राकेश टिकैट के रूप में एक नये किसान नेता का जन्म हुआ. देखते ही देखते ही राकेश टिकैट को किसान महेन्द्र सिंह के सियासी वारिस के तौर पर देखने लगे. और जब उनके पिता कैंसर से मौत हो गई तो भारतीय किसान यूनियन की कमान पूरी तरह से राकेश टिकैत के हाथों में आ गई.

हालांकि, राकेश टिकैट महेन्द्र टिकैट के दूसरे बेटे हैं, जब महेन्द्र टिकैट की मौत हुई तो खाप के नियमों के कारण उसके बड़े बेटे नरेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया. और राकेश टिकैत को यूनियन का प्रवक्ता बनाया गया. लेकिन यूनियन पर राकेश टिकैत की पकड़ बहुत मजबूत है. और सभी फैसले राकेश टिकैत की सहमति से ही होते है. या कोई भी अहम फैसला राकेश टिकैट लेते है.

राकेश टिकैट भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता हैं. लेकिन सवाल उठता है कि भारतीय किसान यूनियन क्या है और कब इसकी स्थापना हुई थी. दरअसल, जब यूपी में बिजली के दाम बढ़ा दिए गए थे, इससे नाराज होकर किसानों ने महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन शुरू किया. इसी आंदोलन के दौरान 1987 में भारतीय किसान यूनियन की नींव रखी गई और चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत को इस यूनियन का अध्यक्ष चुना गया.

भारतीय किसान यूनियन के महासचिव धर्मेंद्र मलिक का कहना है कि किसानों की लड़ाई के चलते राकेश टिकैत 44 बार जेल जा चुके हैं. बात करें उनके परिवार की तो राकेश टिकैत के तीन बच्चे हैं. उनकी दो बेटी है. सीमा और ज्योति. जबकि एक बेटा भी है. बेटे का नाम चरण सिंह है.

Posted by: Pritish Sahay

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