नयी दिल्ली : अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में कम से कम तीन वर्ष का समय लगेगा और इस उद्देश्य के लिये निर्माण कंपनी लार्सन एंड टू्ब्रो, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर काम कर रही है.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बुधवार को यह जानकारी दी . चंपत राय ने संवाददाताओं ने कहा, ‘‘ मंदिर का निर्माण 1000 वर्ष का विचार करके किया जा रहा है और इसमें मिट्टी, पानी एवं अन्य प्रभावों का आकलन किया जा रहा है. ” उन्होंने कहा कि एल एंड टी ने इसके लिये योग्यतम लोगों को अपने साथ जोड़ा है.
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मिट्टी की ताकत को मापने के लिये आईआईटी मद्रास की सलाह ली गई है. उन्होंने बताया कि दो स्थानों से 60 मीटर तथा पांच स्थानों से 40 मीटर की गहराई से मिट्टी के नमूने भेजे गए हैं . कुछ जगहों पर 20 मीटर की गहराई से मिट्टी के नमूने भेजे गए हैं .
ट्रस्ट के महासचिव ने बताया कि केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) तथा आईआईटी मद्रास के प्रोफेसरों ने मिलकर भूकंप संबंधी विषयों एवं प्रभावों को मापा है. उन्होंने कहा कि मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं किया जायेगा . करीब 3 एकड़ जमीन पर मंदिर का निर्माण होगा और लगभग 1200 खम्भे होंगे.
राय ने कहा, ‘‘ अब जितने काम हैं, वे सभी विशेषज्ञों से जुड़े हैं . इन कार्यो में जन्दबाजी नहीं हो सकती है. हम सोच विचार कर आगे बढ़ रहे हैं . ” यह पूछे जाने पर कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने में कितना समय लगेगा, चंपत राय ने कहा, ‘‘ इसमें कम से कम तीन वर्ष लगेंगे. तीन वर्ष अर्थात 36 महीने.
Posted By – Pankaj Kumar Pathak