तेलंगाना के चर्चित रोहित वेमुला केस में पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में जमा कर दी है. इस मामले में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और बंडारू दत्तात्रेय को क्लीन चिट मिल गई है. गौरतलब है कि तेलंगाना पुलिस ने रोहित वेमुला की मौत मामले में अपनी जो क्लोजर रिपोर्ट दायर की है उसमें पुलिस ने कहा है कि रोहित दलित नहीं था और उसने आत्महत्या कर ली क्योंकि उसे डर था कि उसकी असली जाति की पहचान उजागर हो जाएगी.
स्मृति ईरानी, बंडारू दत्तात्रेय समेत कईयों को बड़ी राहत
रोहित वेमुला की आत्महत्या मामले में पुलिस ने सिकंदराबाद के केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, पूर्व सांसद बंडारू दत्तात्रेय, एन रामचंदर राव, हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुलपति अप्पा राव समेत कई और लोगों को राहत दे दी है. दरअसल इस मामले में पुलिस ने आरोप लगाया कि वेमुला परिवार का जाति प्रमाणपत्र फर्जी था. और सबूतों के अभाव में मामला बंद कर दिया गया. बता दें, जनवरी 2016 में हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी, इस घटना के बात देश भर में विरोध प्रदर्शन हुए थे.
क्या था पूरा मामला
दरअसल केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र संगठनों ने अफजल गुरु की फांसी समेत कुछ मुद्दों का विरोध किया था. इसमें अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन समेत कुछ अन्य छात्र संगठन भी शामिल थे. इस प्रदर्शन से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद नाराज था और इसके अध्यक्ष सुशील कुमार के साथ इन छात्रों की धक्का मुक्की हो गयी. इस धक्का मुक्की के बाद केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने वाइस चांसलर को चिट्ठी लिखी. साथ ही उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी को भी पूरे मामले की जानकारी दी. विश्वविद्यालय प्रशासन पर पूरी घटना पर कार्रवाई करते हुए रोहित समेत पांच छात्रों को हॉस्टल से बर्खास्त कर दिया. इसके साथ ही उनकी फ़ेलोशिप भी रोक दी. इसके खिलाफ पांच छात्र विरोध स्वरूप हॉस्टेल के बाहर टेंट पर रहकर अपना विरोध जारी रखा.
इसके बाद उन्हें हॉस्टल से बाहर निकाल दिया गया. साथ ही मेस और दूसरी सुविधाओं से भी वंचित कर दिया गया था. इस घटना के बाद से रोहित बेहद उदास रहने लगा था. अपने निलंबन को लेकर पांचो छात्रों ने भूख हड़ताल भी शुरू की लेकिन विश्वविद्यालय ने उनकी नहीं सुनी. तीन दिनों के भूख हड़ताल के बाद रोहित वेमुला ने अपने छात्र संगठन के झंडे की मदद से ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.