सहारा समूह में निवेशकों के लगे पैसे जल्द ही वापस होंगे. निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए केंद्र सरकार सहारा रिफंड पोर्टल लॉन्च कर रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज यानी मंगलवार को दिल्ली में इसे लॉन्च करने वाले हैं. इस पोर्टल के जरिये सहारा समूह की चार सहकारी समितियों में जमा वैसे निवेशकों के पैसे लौटाए जाएंगे जिनकी जमा करने की अवधि पूरी हो चुकी है. पोर्टल के जरिये जमाकर्ता अपने दावे ऑनलाइन पेश कर सकते हैं. इस मामले में सरकार ने 29 मार्च को कहा था कि सहारा समूह की चार सहकारी समितियों के करीब 10 करोड़ निवेशकों को नौ महीने के भीतर पैसे लौटाए जाएंगे. यह घोषणा उच्चतम न्यायालय के 5000 करोड़ रुपये सहारा-सेबी रिफंड खाते से केंद्रीय सहकारी समिति रजिस्ट्रार (सीआरसीएस) को हस्तांतरित करने के आदेश के बाद की गई थी.
वास्तविक जमाकर्ताओं का पैसा होगा वापस
इसी कड़ी में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहारा रिफंड पोर्टल के उद्घाटन के मौके पर कहा कि चार सहकारी समितियों का सारा डेटा ऑनलाइन है. यह पोर्टल 1.7 करोड़ जमाकर्ताओं को खुद को पंजीकृत करने में मदद करेगा. वास्तविक जमाकर्ताओं को उनका पैसा वापस मिलेगा. इन जमाकर्ताओं के दावे का निपटान किया जाएगा. जमाकर्ताओं के बैंक खाते में 45 दिनों के भीतर पैसा वापस कर दिया जाएगा.
#WATCH | Delhi: Union Home & Cooperation Minister Amit Shah at the inauguration of the Sahara Refund Portal says, "All data on the four Cooperatives is online… This portal will help 1.7 crore depositors register themselves…Genuine depositors will get their money back. The… pic.twitter.com/PdxtV8CyXM
— ANI (@ANI) July 18, 2023
इससे पहले सहकारिता मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा कि सहारा समूह के निवेशकों की तरफ से दावा प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए मंगलवार को एक विशेष पोर्टल जारी किया जाएगा. सहकारिता मंत्री शाह इस पोर्टल का उद्घाटन करेंगे. मंत्रालय ने कहा, सहारा समूह की सहकारी समितियों के वास्तविक जमाकर्ताओं की तरफ से वैध दावे जमा करने के लिए पोर्टल विकसित किया गया है. इन सहकारी समितियों के नाम सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड हैं. सहारा समूह की इन सहकारी समितियों के पास पैसे जमा करने वाले निवेशकों को राहत दिलाने के लिए सहकारिता मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय में अर्जी दायर की थी. जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इनके दावों की भरपाई के लिए 5,000 करोड़ रुपये सीआरसीएस को हस्तांतरित करने का आदेश दिया था.
केंद्र के अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका संविधान पीठ को भेजने का संकेत
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को संकेत दिया कि वह सेवाओं पर नियंत्रण पर केंद्र के हालिया अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका को फैसले के लिए संविधान पीठ को भेजने पर विचार कर रहा है. शीर्ष अदालत ने हाल ही में दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण संबंधी अध्यादेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करते हुए याचिका पर केंद्र और उपराज्यपाल को नोटिस जारी किया था. प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनवाई की शुरुआत में संकेत दिया कि अध्यादेश क्योंकि अनुच्छेद 239एए का सहारा लेकर जारी किया गया था, इसलिए यदि मामले का फैसला संविधान पीठ की ओर से किया जाता है तो ठीक रहेगा.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) ने कहा कि केंद्र ने जो किया है वह यह है कि 239एए(7) के तहत शक्ति का उपयोग करके उन्होंने सेवाओं को दिल्ली सरकार के नियंत्रण से बाहर करने के लिए संविधान में संशोधन किया है. क्या यह अनुमति योग्य है? मुझे नहीं लगता कि संविधान पीठ के किसी भी फैसले में इसे शामिल किया गया है. सीजेआई की इस टिप्पणी को मामले को संविधान पीठ को सौंपने की अदालत की मंशा के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.सीजेआई ने कहा, मुद्दा यह है कि संसद के पास सूची 2 (राज्य) या सूची 3 (समवर्ती) में किसी भी प्रविष्टि के तहत कानून बनाने की शक्ति है. सूची 3 समवर्ती है. आपने अध्यादेश के इस खंड 3ए द्वारा कहा है कि राज्य विधायिका प्रविष्टि 41 (राज्य लोक सेवाएं, राज्य लोक सेवा आयोग) के तहत बिल्कुल भी कानून नहीं बना सकती है.
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने टिप्पणी का विरोध किया और कहा कि अनुच्छेद 239एए(7)(बी) के अनुसार, संसद द्वारा बनाया गया कानून संविधान में संशोधन नहीं माना जाता है. अनुच्छेद 239एए संविधान में दिल्ली के संबंध में विशेष प्रावधानों से संबंधित है और उप-अनुच्छेद 7 कहता है, “संसद, कानून द्वारा, पूर्वगामी खंडों में निहित प्रावधानों को प्रभावी बनाने या पूरक करने के लिए और सभी आकस्मिक या परिणामी मामलों के लिए प्रावधान कर सकती है. केंद्र ने 19 मई को दिल्ली में ‘ग्रुप-ए’ अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती के लिए एक प्राधिकरण बनाने के वास्ते राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 लागू किया था. केंद्र सरकार के इस कदम को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार ने सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर उच्चतम न्यायालय के निर्णय के प्रति “छलावा” करार दिया है.