नयी दिल्ली : वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि कोरोना वायरस का संक्रमण सीवेज के जरिए भी हो सकता है.लिहाजा इस पहलू को कतई नजरअंदाज न करें. पर्यावरण वैज्ञानिकों ने इसे लेकर चेतावनी दी है.उनका कहना है कि जो लोग कोरोना से संक्रमित है.अगर उनका मल जब सीवेज में पहुंचेगा तो उसके जरिए भी लोगों में संक्रमण फैल सकता है.बकौल अभी उनके इल पहलू पर कोई नजर नहीं रखी जा रही है.
गौरतलब है कि कोरोना प्रभावित व्यक्तियों के मल में कोरोना वायरस लंबे समय तक जिंदा रहता है.इस तरह ये बड़ी समस्या पैदा कर सकता है.स्कॉलैंड की स्टलिंग यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में ये बात कही गई है. इस अध्ययन के सह लेखक रिचर्ड कूलियम ने ये बात कही है. कुछ दिन पहले भी खबर आयी थीं कि शोधकर्ताओं ने संक्रमित इलाकों की पहचान के लिए सीवेज जांच की मदद लेने का फैसला किया है.
सीवेज जांच से वैज्ञानिकों को पता चलेगा कि किन इलाकों में कोरोना संक्रमित मरीज मौजूद है.जिनका पता नहीं लग पाया है. इससे संक्रमित क्षेत्रों का भी पता लग सकेगा.
बता दें, पिछले महीने नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने वेस्टवाटर या सीवेज की जांच का पता लगाया था,उससे उन्हें अहम जानकारियां मिली थी.क्योकि उस क्षेत्र में जहां उन्हें संक्रमण का पता लगा, वहां ऊपरी तौर पर कोरोना संक्रमण मामले सामने नहीं आए थे. इसका पता सीवेज में मौजूद मल के जरिए चला.ऐसे में अगर किसी इलाके में संक्रमित लोगों की संख्या ज्यादा हुई तो इसका पता सीवेज की जांच से पता चल सकता है क्योंकि वहां के सीवेज में संक्रमित मल की मात्रा ज्यादा होगी यानी कि सीवेज में ही संक्रमण की मात्रा ज्यादा होगी.
तब शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया था कि सीवेज की जांच से कम्युनिटी संक्रमण के पता चल सकता है. लेकिन इस मामले में सीवेज कर्मचारियों के जोखिम का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है. अभी तक ऐसे संकेत तो नहीं मिले हैं कि सीवेज के मल से संक्रमण फैल सकता है. इसकी संभावना भी कम है.