चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रतिद्वंद्वी गुटों को छह अक्टूबर को सुनवाई के लिए बुलाया है. अजित पवार के नेतृत्व वाले एक गुट ने एनसीपी नेता शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी और पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर दावा करते हुए निर्वाचन आयोग का रुख किया था.
एनसीपी के दोनों गुटों ने किया पार्टी पर दावा
एनसीपी के प्रत्येक गुट पार्टी होने का दावा कर रहा है, इसलिए इस मामले में चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश 1968 के पैरा 15 के तहत आयोग द्वारा निर्धारण की आवश्यकता है. ऐसे में आयोग ने दोनों समूहों को छह अक्टूबर को मामले में सुनवाई के लिए व्यक्तिगत रूप से या अपने अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. नियमों का हवाला देते हुए बताया जा रहा है कि आयोग अब चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश के पैरा 15 के तहत सुनवाई शुरू करेगा.
चाचा शरद पवार से बगावत कर शिंदे सरकार में शामिल हुए अजित पवार
गौरतलब है कि जुलाई की शुरुआत में महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के लिए अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत करने से दो दिन पहले, राकांपा नेता अजित पवार ने 30 जून को निर्वाचन आयोग का रुख किया था और पार्टी के नाम के साथ-साथ चुनाव चिह्न पर भी दावा किया था. बाद में अजित ने 40 विधायकों के समर्थन के साथ खुद को पार्टी अध्यक्ष भी घोषित कर दिया था.
शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने निर्वाचन आयोग को बताया था पार्टी में कोई विवाद नहीं
हाल में, शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने निर्वाचन आयोग को बताया था कि पार्टी में कोई विवाद नहीं है, सिवाय इसके कि कुछ लोग अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के लिए संगठन से अलग हो गए हैं. इसमें महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले बागी समूह का संदर्भ दिया गया.
अजित पवार ने शिंदे सरकार में शामिल होने को लेकर किया बड़ा खुलासा
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार 10 सितंबर को दावा किया कि था कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के लगभग सभी विधायकों ने शरद पवार को पत्र लिखकर एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होने का आग्रह किया था, जब उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार जाने वाली थी. ठाकरे की एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना वाली महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार एकनाथ शिंदे के बगावत करने पर पिछले साल जून में गिर गई थी. यह बगावत पिछले साल 21 जून से 30 जून तक चली थी, जब शिंदे भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे. शिंदे के नेतृत्व में हुई बगावत के दौरान एनसीपी के कई विधायक गुजरात के सूरत, और वहां से असम ले जाये गए थे.
अजित पवार ने कहा था कि अगर उनका दावा गलत साबित हुआ तो राजनीति से सन्यास ले लेंगे
अजित पवार ने कोल्हापुर में एक रैली में कहा था, जब उद्धव ठाकरे की सरकार गिरने को थी, तब राकांपा के लगभग सभी विधायकों ने पार्टी प्रमुख (शरद पवार) को पत्र लिख कर उनसे (भाजपा का समर्थन कर) सरकार में शामिल होने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा था, यह (जो उन्होंने कहा है) गलत है तो मैं राजनीति से तुरंत सन्यास ले लूंगा. यदि मेरा दावा सही है तो झूठ फैलाने वालों को (राजनीति से) सन्यास लेना होगा.