Maharashtra: महाराष्ट्र विधानसभा से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी शुक्रवार को सुनवाई हुई. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि इसे फिलहाल 7 जजों की पीठ के पास भेजने की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने इस मामले में अगली तारीख देते हुए कहा कि अब फरवरी में इस बात पर गुणदोष के आधार पर विचार किया जाएगा. 21 फरवरी को कोर्ट इसपर विचार करेगा कि क्या विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों पर 2016 के फैसले में संदर्भ की आवश्यकता है.
समीक्षा याचिकाओं को वृहद पीठ को भेजने से इनकार: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अयोग्यता याचिकाओं से निपटने के लिए विधानसभा अध्यक्षों की शक्तियों पर 2016 के नबाम रेबिया के फैसले पर पुनर्विचार के लिए महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से संबंधित मामलों को फिलहाल सात-न्यायाधीशों की एक बड़ी बेंच के पास भेजने से इनकार कर दिया.
Supreme Court’s Constitution bench declines to immediately refer the cases related to the Maharashtra political crisis to a larger seven-judge bench for reconsideration of a 2016 Nabam Rebia judgment on the powers of Assembly Speakers to deal with disqualification pleas pic.twitter.com/kBGZlLTRvp
— ANI (@ANI) February 17, 2023
गुण दोष के आधार पर किया जाएगा फैसला: सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि 21 फरवरी को इस बात पर गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा कि विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों पर 2016 के फैसले में संदर्भ की आवश्यकता है या नहीं.
न्यायपालिका पर पूरा भरोसा- एकनाथ शिंदे: वहीं, महाराष्ट्र विधानसभा के राजनीतिक संकट मामले में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा है कि हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. लोकतंत्र में बहुमत के साथ सत्ता में आना बहुत मायने रखता है. हम लोगों की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं. इसलिए हम चाहते हैं कि न्यायपालिका योग्यता के आधार पर फैसला करे.
We've full faith in the judiciary. In a democracy coming to power with a majority has huge value. We are working for the betterment of people. Hence we want the judiciary to decide on the basis of merits: Maharashtra CM Eknath Shinde on political crisis case pic.twitter.com/Qo71rCskOd
— ANI (@ANI) February 17, 2023
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और एनके कौल ने इसे वृहद पीठ को भेजे जाने का विरोध किया था. महाराष्ट्र के राज्यपाल की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इसका विरोध किया था. पांच सदस्यीय एक संविधान पीठ ने 2016 में अरुणाचल प्रदेश के नबाम रेबिया के मामले पर फैसला दिया था कि यदि विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के लिए नोटिस सदन में पहले से लंबित हो, तो वह विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए दी गई अर्जी पर कार्यवाही नहीं कर सकता.
भाषा इनपुट के साथ