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विदेशों में भी पूजे जाते हैं श्रीराम, पूरी दुनिया के हैं आराध्य, जानें प्रमुख राम मंदिरों के बारे में

प्रभु राम न सिर्फ अपनी जन्मस्थली अयोध्या, बल्कि पूरी दुनिया में बड़ी आस्था और विश्वास के साथ पूजे जाते हैं. वे पूरी दुनिया के आराध्य हैं. राम कथा के अनुसार, प्रभु राम अपने वनवास के दौरान जहां-जहां गये, वहां-वहां पर बड़े तीर्थ बन गये. ऐसे में जानें देश-दुनिया के प्रमुख राम मंदिरों के बारे में.

श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में 70 एकड़ भूमि में बने भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होगी, जिसकी तैयारी जोर-शोर से चल रही है. श्री विष्णु के सातवें अवतार माने जाने वाले प्रभु राम न सिर्फ अपनी जन्मस्थली अयोध्या, बल्कि पूरी दुनिया में बड़ी आस्था और विश्वास के साथ पूजे जाते हैं. वे पूरी दुनिया के आराध्य हैं. राम कथा के अनुसार, प्रभु राम अपने वनवास के दौरान जहां-जहां गये, वहां-वहां पर बड़े तीर्थ बन गये. आइए जानते हैं देश-दुनिया के प्रमुख राम मंदिरों के बारे में.

कालाराम मंदिर, नासिक, महाराष्ट्र

कालाराम मंदिर महाराष्ट्र के नासिक के पंचवटी क्षेत्र में स्थित है, जिसका शाब्दिक अर्थ काला राम है. यह मंदिर रामभक्तों की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है. यह पश्चिमी भारत में प्रभु राम के बेहतरीन आधुनिक मंदिरों में से एक है. यहां हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. इस मंदिर में भगवान राम की काले पत्थरों से बनी तकरीबन 2 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है. साथ ही माता सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां भी स्थापित हैं. ऐसी मान्यता है कि 14 वर्ष के वनवास के दौरान प्रभु राम अपनी पत्नी माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहां पर कुछ दिनों तक ठहरे थे.

सीता रामचंद्र स्वामी मंदिर

सीता रामचंद्र स्वामी मंदिर, जिसे भद्राचलम मंदिर भी कहा जाता है, दक्षिण भारत में गोदावरी नदी के किनारे स्थित प्रभु राम को समर्पित प्रमुख मंदिर है. यह तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुडम जिले के भद्राचलम नगर में है. इसे ‘दक्षिण का अयोध्या भी कहा जाता है. यह पवित्र स्थान दुनिया भर से लाखों भक्तों को आकर्षित करता है. भद्राचलम से करीब 32 किलोमीटर दूर पर्णशाला नामक एक जगह है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, प्रभु राम ने अपने 14 वर्षों के वनवास का एक हिस्सा इसी जगह पर बिताया था और रावण ने इसी जगह से देवी सीता का अपहरण किया था. एक अन्य कथा के अनुसार, प्रभु राम जब लंका से सीता को बचाने के लिए गये थे, तब गोदावरी को पार कर इसी स्थान पर रुके थे.

श्री राजा राम मंदिर

श्री राजा राम मंदिर, मध्य प्रदेश के ओरछा में है. यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि प्रभु राम यहां पर प्रतिदिन सोने के लिए रात में आते हैं और सुबह होते ही हनुमान जी उन्हें अयोध्या लेकर वापस चले जाते हैं. बेतवा नदी के किनारे स्थित इस मंदिर को देश के प्रमुख राम मंदिरों में गिना जाता है. मान्यता है कि यहां आज भी राजा राम का ही शासन है. इसी वजह से पुलिस द्वारा राजा राम को दिन में 5 बार गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. यह परंपरा करीब 400 साल से चली आ रही है. अयोध्या के रामलला का वास्तविक विग्रह ओरछा में ही विराजमान है. इसलिए भले ही ओरछा का महत्व अयोध्या के समान न हो, लेकिन कम भी नहीं है.

रघुनाथ मंदिर

भारत के प्रसिद्ध मंदिरों की बात बगैर रघुनाथ मंदिर की चर्चा के अधूरी मानी जाती है. रघुनाथ मंदिर जम्मू शहर के मध्य में स्थित है. यह मंदिर न सिर्फ सनातन धर्म की आस्था का बड़ा केंद्र है, बल्कि जम्मू की भी पहचान है. इस मंदिर में न केवल भगवान राम की प्रतिमा स्थापित है, बल्कि भगवान श्री विष्णु के अन्य अवतारों के भी दर्शन करने को मिलते हैं. जम्मू का प्रसिद्ध रघुनाथ मंदिर सात अलग-अलग मंदिरों से मिलकर बना है. मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां दर्शन करने पर राम भक्तों को 33 कोटि देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. रघुनाथ मंदिर के बाहर से पांच कलश नजर आते हैं, जो लम्बाई में फैले हुए हैं. यहां भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की विशाल मूर्तियां हैं.

रामास्वामी मंदिर

प्रभु श्रीराम को समर्पित रामास्वामी मंदिर दक्षिण भारत के तमिलनाडु के कुंभकोणम शहर में कावेरी नदी के तट पर स्थित है. यह दक्षिण भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है. यहां पर वैष्णव भक्तों की हर समय भारी भीड़ जुटी रहती है. यह देश का एकमात्र मंदिर माना जाता है, जहां पर भगवान राम के साथ न सिर्फ माता जानकी, बल्कि उनके चारों भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न भी मौजूद हैं. इसके परिसर में कई और छोटे मंदिर भी हैं. इसके अलावा हनुमान की मूर्ति भी प्रार्थना की मुद्रा में स्थापित है. गोपुरम के पास स्थित सभा गृह के चौसठ स्तंभों को महाकाव्य रामायण के विभिन्न प्रसंगों द्वारा अति सूक्ष्मता के साथ उकेरा गया है और प्रत्येक स्तंभ को एक ही पत्थर से तराशा गया है.

कोदंड राम मंदिर

कोदंड राम मंदिर कर्नाटक के चिकमगलूर जिले में स्थित है. यह मंदिर राम भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. इस मंदिर की खासियत है कि यहां पर माता सीता, भगवान राम और लक्ष्मण के दाहिनी ओर खड़ी हुई हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, कोदंड राम मंदिर ठीक उसी स्थान पर है, जहां भगवान श्रीराम ने ‘बाली’ का वध किया था. वहीं, कहा जाता है कि सीता विवाह के वक्त परशुराम ने श्रीराम को कोदंड धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने की चुनौती दी. यह धनुष भगवान विष्णु ने परशुराम को दिया था. कथाओं के मुताबिक, कोदंड की प्रत्यंचा चढ़ाने के तरीके से परशुराम पहचान गये कि श्रीराम ही विष्णु के अवतार हैं. दक्षिण भारत में लोग प्रभु राम को कोदंड राम के रूप में ही पूजते हैं.

श्री राम तीर्थ मंदिर

पंजाब का अमृतसर न सिर्फ स्वर्ण मंदिर, बल्कि प्रभु श्रीराम के मंदिर के लिए भी जाना जाता है. रामायण काल से जुड़े इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जब लंका से लौटने के बाद प्रभु राम ने माता सीता का त्याग किया था, तब सीता जी ने इसी स्थान पर महर्षि बाल्मीकि के आश्रम में शरण लिया था. यही पर माता सीता ने लव और कुश को जन्म दिया था. कहते हैं कि बाल्मीकि जी ने रामायण की रचना इसी स्थान पर की थी. साथ ही इसी आश्रम में उन्होंने लव व कुश को शस्त्र चलाने की शिक्षा दी थी. यही कारण है कि अयोध्या की तरह इस मंदिर के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु हर दिन बड़ी संख्या में आते हैं. इस मंदिर में महर्षि बाल्मीकि की 8 फीट ऊंची गोल्ड प्लेटेड प्रतिमा स्थापित है.

त्रिप्रायर श्री राम मंदिर

त्रिप्रायर श्री राम मंदिर, केरल के त्रिशूर शहर में स्थित है. भगवान श्रीराम के इस मंदिर की काफी मान्यता है. लोगों का विश्वास है कि इस मंदिर में पूजा करने से व्यक्ति बुरी बलाओं से बचा रहता है. मंदिर में स्थापित भगवान राम की मूर्ति को लेकर मान्यता है कि इसकी पूजा स्वयं भगवान श्री कृष्ण करते हैं. मंदिर के परिसर में एक गर्भगृह और एक नमस्कार मंडपम है, जहां रामायण काल के चित्र हैं और नवग्रहों को दर्शाती हुई लकड़ी की नक्काशी और प्राचीन भित्तिचित्र हैं. यहां पारंपरिक कलाओं जैसे कोट्टू (नाटक) का नियमित प्रदर्शन किया जाता है. लोक मत है कि हर वर्ष मंदिर में होने वाले अरट्टूपुझा पूरम उत्सव के लिए यह मंदिर अधिक प्रसिद्ध है.

विदेश में

बैंकॉक: प्रभु राम के नाम पर सड़कें

प्रभु श्रीराम कण-कण में बसे हुए हैं. राम जी की विश्व यात्रा भारत से लेकर मॉरिशस, नेपाल, लाओस, थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, मलेशिया व श्रीलंका तक थी. इन देशों में ऐसे कई प्रमाण मौजूद हैं, जिससे पता चलता है कि रामजी के चरण यहां पड़े होंगे. इसी तरह बैंकॉक में रामायण चित्रों की विश्व में सबसे लंबी शृंखला है. वहीं, राजमहल के अंदर बुद्ध की मूर्ति व अंदर व बाहरी दीवारों पर पूरी रामायण है. थाईलैंड के लबबुरी में हनुमान जी संजीवनी बूटी हेतु गिर पर्वत उठाते हुए दिख जायेंगे. थाईलैंड कुछ इस कदर राममय है कि वहां की सड़कों से लेकर पुलों के नाम प्रभु राम के नाम पर रखे गये हैं.

श्रीलंका: अशोक वाटिका मंदिर

ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार, रामायण काल को पांच हजार साल से ज्यादा साल हो गये, बावजूद इसके श्रीलंका में रामायण काल के ऐतिहासिक अवशेष आज पूरी दुनिया में चर्चा के केंद्र में हैं. श्रीलंका के नुवराएलिया स्थिति अशोक वाटिका भी ऐसा ही स्थान है, जो आश्चर्य में डाल देता है. रावण जब माता सीता का अपहरण कर ले गया था, तो माता का जिस अशोक वाटिका में वास था, वहां पर राम-सीता का भव्य मंदिर है. श्रद्वालु अपना सिर झुकाकर मन्नत मांगने पहुंचते हैं. श्रीलंका में नुवराएलिया स्थित वह जगह आज ‘हकगाला बोटैनिकल गार्डन’ के नाम से मशहूर है. जिस जगह सीता माता को रखा गया था, उसे ‘सीता एल्या’ कहा जाता है.

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