नई दिल्ली : भारत का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा निरस्त होने के आज तीन साल पूरे हो गए हैं. आज 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाहते जम्मू-कश्मीर से विवादित अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया गया था. इसकी शुरुआत कश्मीर के राजा हरि सिंह के कार्यकाल से हुई थी. भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिलने के साथ ही अक्टूबर 1947 में कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने एक विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए. इसमें कहा गया कि तीन विषयों के आधार पर यानी विदेश मामले, रक्षा और संचार पर जम्मू और कश्मीर भारत सरकार को अपनी शक्ति हस्तांतरित करेगा. आइए जानते हैं कि अनुच्छेद 370 क्या है…?
बता दें कि मार्च 1948 में जम्मू-कश्मीर के महाराजा ने शेख अब्दुल्ला के साथ प्रधानमंत्री के रूप में राज्य में एक अंतरिम सरकार की नियुक्त की थी. जुलाई 1949 में शेख अब्दुल्ला और तीन अन्य सहयोगी भारतीय संविधान सभा में शामिल हुए और जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति पर बातचीत की. इस बातचीत के आधार पर जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए अनुच्छेद 370 को अपनाया गया. अनुच्छेद 370 के विवादास्पद प्रावधान को शेख अब्दुल्ला द्वारा तैयार किया गया था.
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त होने से पहले संसद को राज्य में कानून लागू करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार से मंजूरी लेने की जरूरत पड़ती थी. हालांकि, इसमें रक्षा, विदेशी मामलों, वित्त और संचार के मामले शामिल नहीं थे. इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर के निवासियों की नागरिकता, संपत्ति के स्वामित्व और मौलिक अधिकारों का कानून शेष भारत में रहने वाले निवासियों से अलग था. अनुच्छेद 370 के तहत अन्य राज्यों के नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते थे. अनुच्छेद 370 के तहत केंद्र सरकार के पास जम्मू-कश्मीर में वित्तीय आपातकाल घोषित करने का कोई अधिकार नहीं था.
बता दें कि कि अनुच्छेद 370 (1) (सी) में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1 अनुच्छेद 370 के जरिए से कश्मीर पर लागू होता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 के जरिए राज्यों को भारत संघ में सूचीबद्ध करता है. इसका मतलब है कि यही अनुच्छेद 370 है, जो जम्मू-कश्मीर राज्य को भारत संघ से जोड़ता रहा था. अनुच्छेद 370 को हटाना (जो राष्ट्रपति के आदेश द्वारा किया जा सकता है) राज्य को भारत से स्वतंत्र कर देगा, जब तक कि नए अधिभावी कानून नहीं बनाए जाते.
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जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 3 में कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर राज्य भारत संघ का अभिन्न अंग है और रहेगा. अनुच्छेद 5 में कहा गया कि राज्य की कार्यपालिका और विधायी शक्ति उन सभी मामलों तक फैली हुई है, जिनके संबंध में संसद को भारत के संविधान के प्रावधानों के तहत राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति है. संविधान 17 नवंबर 1956 को अपनाया गया और 26 जनवरी 1957 को लागू हुआ था. 5 अगस्त 2019 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी संविधान (जम्मू-कश्मीर के लिए आवेदन) आदेश, 2019 (सीओ 272) द्वारा जम्मू-कश्मीर के संविधान को निष्प्रभावी बना दिया गया था.