EVM and VVPAT: ईवीएम-वीवीपैट सत्यापन मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कुछ स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही चुनाव आयोग से कहा है कि अपने अधिकारी को दोपहर 2 बजे कोर्ट में उपस्थित करें. कोर्ट ने उनके कुछ सवालों के जवाब देने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण की जरूरत है. क्योंकि ईवीएम से जुड़े प्रश्नों पर चुनाव आयोग ने जो उत्तर दिए हैं उन्हें लेकर कुछ भ्रम है.
कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था फैसला
बता दें, इस मामले में दाखिल याचिका में सौ फीसदी वीवीपैट वेरिफिकेशन की मांग की गई थी. 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले की सुनवाई की थी और को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के अधिकारियों से भी ईवीएम (EVM) और वीवीपैट (VVPAT) की कार्यप्रणाली और सुरक्षा पर जानकारी ली थी. हालांकि आयोग ने कोर्ट से कहा था कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित है और उसमे छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है.
चिप के जरिए छेड़खानी का जताया गया था शक
गौरतलब है कि इससे पहले मामले पर 16 अप्रैल को भी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने दलील देते हुए कहा था कि ईवीएम और VVPAT में लगने वाली चिप को प्रोग्राम किया जा सकता है. मशीनों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इसपर कोर्ट ने कहा कि भारत में चुनावी प्रक्रिया एक बहुत बड़ा काम है. तंत्र को कमजोर करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात का भी जिक्र किया कि कैसे चुनाव परिणामों में हेरफेर करने के लिए मतपत्र के दौर में मतदान केंद्रों को कब्जा लिया जाता था.
वीवीपैट होता क्या है जानें
वीवीपैट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के एक अधिकारी को कोर्ट तलब किया है. कोर्ट ने वीवीपैट से संबंधित कुछ और जानकारी की मांग की है. बता दें, वीवीपैट स्वतंत्र रूप से वोट का सत्यापन करने की एक प्रणाली है. इसके जरिये वोटर यह देखने में सक्षम हो पाता है कि उसने जो वाट दिया वो उसी उम्मीदवार को गया या नही. इस प्रणाली में एक मशीन लगी रहती है जिससे कागज की पर्ची निकलती है.