प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने पर विचार कर सकता है.
दिल्ली आबकारी नीति मामले में मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को एक बार फिर लंबी बहस हुई. सुनवाई के दौरान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए अदालत केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने पर विचार कर सकती है. सुनवाई के दौरान न्यायाधीश खन्ना ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा कि सुनवाई में समय लग सकता है, ऐसे में अदालत केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने पर विचार कर सकता है. चुनाव को देखते हुए इस पर विचार किया जा सकता है. अंतरिम जमानत पर मंगलवार को हो सकती है सुनवाई
अंतरिम जमानत पर संशय बरकरार
मंगलवार को इस मामले की सुनवाई होगी. इस पर राजू ने अदालत को कहा कि सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद संजय सिंह के बयान पर गौर करना चाहिए. न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि अदालत सिर्फ प्रवर्तन निदेशालय को अंतरिम जमानत देने पर विचार करने की बात कही है और इस पर अदालत का रुख अभी तय नहीं है. अंतरिम जमानत मिल भी सकती है और नहीं भी. वहीं केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय का भी मानना है कि प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 50 के तहत पूछताछ के लिए बुलाने वाले व्यक्ति को आरोपी नहीं माना जा सकता है. प्रवर्तन निदेशालय द्वारा केजरीवाल को 16 मार्च को भेजा गया समन आरोपी के तौर पर नहीं था. आखिर 21 मार्च को क्या बदल गया कि केजरीवाल को गिरफ्तार करने की नौबत आ गयी. सिंघवी ने कहा कि जांच एजेंसी के पास केजरीवाल की गिरफ्तारी के सबूत पुराने हैं और वर्ष 2023 के सबूतों के आधार पर गिरफ्तारी की गयी है. उन्होंने इस मामले में शीर्ष अदालत के सेंथिल बालाजी मामले में दिए फैसले का हवाला दिया. क्या आम आदमी पार्टी को बनाया जा सकता है आरोपीप्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि भविष्य में आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाया जा सकता है. इस पर सिंघवी ने कहा कि पीएमएलए की धारा 70 के तहत अगर आप को आरोपी बनाया भी जाता है तो केजरीवाल की गिरफ्तारी नहीं हो सकती है. इसपर पीठ ने कहा कि अगर आप पार्टी को आरोपी बनाया जाता है तो पार्टी का मुखिया होने के नाते गलत काम की जिम्मेदारी केजरीवाल की बनती है. ऐसे में आरोपी को यह साबित करना होगा कि गलत काम बिना उसकी मंजूरी के किया गया है.