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Supreme Court: बिहार में पुल गिरने के मामले पर सुनवाई को तैयार हुआ शीर्ष अदालत

शीर्ष अदालत ने बिहार में पुलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और पुलों की ऑडिट कराने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जाहिर की. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि वह इस याचिका पर गौर करेगा.

Supreme Court: बिहार में हाल के महीनों में पुल पुल गिरने की कई घटना सामने आने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सोमवार को शीर्ष अदालत ने बिहार में पुलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और पुलों की ऑडिट कराने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जाहिर की. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि वह इस याचिका पर गौर करेगा. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या इस मामले से संबंधित याचिका की सुनवाई को लेकर ई-मेल किया गया है.

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मामले की सुनवाई के लिए ईमेल किया गया है. गौरतलब है कि जनहित याचिका पर 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने  बिहार सरकार, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) एवं अन्य संबंधित विभागों को नोटिस जारी कर जवाब देने का आदेश  दिया था. जनहित याचिका में  पुलों का संरचनात्मक ऑडिट करने और पुलों की सुरक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग की है.  

राष्ट्रीय राजमार्ग के तय मानक के अनुसार बने पुल

बिहार में हाल के महीनों में पुल गिरने के सिवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों से 10 मामले सामने आये हैं. सरकार और कई लोगों का मानना है कि भारी बारिश के कारण पुल गिरने के मामले सामने आए हैं. वकील ब्रजेश सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि बिहार में भारी बारिश और बाढ़ का मामला कोई नया नहीं है. ऐसे में पुलों का गिरना चिंता की बात है. ऐसे में बिहार में बनने वाले पुलों की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन, रियल टाइम निगरानी व्यवस्था और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के तय मानक के अनुसार राज्य में पुलों का निर्माण किया जाए.

याचिका में कहा गया है कि देश में बिहार सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित राज्य है. राज्य के कुल क्षेत्रफल का 73 फीसदी बाढ़ प्रभावित इलाका है. ऐसे में बिहार में पुलों का गिरना आम लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने के समान है और शीर्ष अदालत को आम लोगों का जीवन बचाने के लिए हस्तक्षेप करना जरूरी है. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सड़क निर्माण विभाग और ग्रामीण विकास विभाग को राज्य में पुराने पुलों का सर्वे कर जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया है, ताकि पुल गिरने की घटनाओं पर लगाम लगायी जा सके. 

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