Suprem Court : ने आज उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें यह मांग की गई थी कि चुनाव के दौरान मतदान केंद्र पर वोटर्स का पहले ब्रेथलाइजर टेस्ट कराया जाए, जिससे यह पता चले कि उसने शराब पी है या नहीं. कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मतदान के दिन शराब बंदी होती है और इसे लागू करने के लिए सुरक्षा की भी तमाम व्यवस्था होती है, इसलिए इस तरह की याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती है.
मतदान के दिन शराब बंदी होती है
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने आज कहा कि मतदान के दिन क्षेत्र में शराब बंदी होती है, इसलिए इस तरह की याचिका का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि क्या यह पब्लिसिटी के लिए दायर याचिका है. चुनाव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होती है और शराबबंदी भी, फिर इस तरह की याचिका का क्या मतलब है.
जनवाहिनी पार्टी ने दायर की थी याचिका
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, यह क्या है? यह प्रचार के लिए है. मतदान के दिन मद्य निषेध दिवस होता है और हर जगह पुलिसकर्मी तैनात होते हैं. हम इस पर विचार नहीं करेंगे. याचिका खारिज की जाती है. जनवाहिनी पार्टी की आंध्र प्रदेश इकाई ने शुरू में उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसने 28 फरवरी को याचिका खारिज कर दी थी. हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता किसी भी ऐसे विशिष्ट कानूनी प्रावधान पर अपना ध्यान आकर्षित करने में विफल रहा है जो भारत के चुनाव आयोग के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य बना दे कि मतदान की अनुमति मिलने के बाद मतदान केंद्र में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का रक्त में एल्कोहल की मात्रा मापने वाला ब्रेथलाइज़र परीक्षण हो. जनवाहिनी पार्टी ने छह जनवरी के अपने प्रतिवेदन पर चुनाव आयोग की कथित निष्क्रियता को चुनौती दी. प्रतिवेदन में प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं के प्रवेश बिंदु पर एक ‘ब्रेथलाइजर’ परीक्षण की व्यवस्था करने और केवल उन्हीं मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करने की अनुमति देने की मांग की गई है, जो शराब के नशे में ना हों.
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