नई दिल्ली : मणिपुर हिंसा मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि हम कानून-व्यवस्था अपने हाथ में नहीं ले सकते. मणिपुर में सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम केंद्र और राज्य सरकार है. सर्वोच्च अदालत के वकीलों की ओर से मणिपुर में हिंसा के लिए किसी खास समूह को जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह अदालत मणिपुर में तनाव बढ़ाने के प्लेटफॉर्म के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि वह प्राधिकारियों को मणिपुर में स्थिति बेहतर बनाने के प्रयास करने का निर्देश दे सकता है और विभिन्न समूहों से सकारात्मक सुझाव देने के लिए कह सकता है, लेकिन कानून-व्यवस्था अपने हाथ में नहीं ले सकता.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत के समक्ष मणिपुर की स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत की. अदालत ने यह रिपोर्ट कुकी समुदाय को दी है और उन्हें कल तक सकारात्मक सुझाव देने का निर्देश दिया है. इस मामले पर मंगलवार को भी सुनवाई होगी. इसके साथ ही, मणिपुर में इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाए रखने संबंधी मामले पर मंगलवार को ही सुनवाई की जाएगी. मणिपुर में तीन मई 2023 को हिंसा भड़क उठने के बाद से ही इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. हालांकि, मणिपुर हाईकोर्ट ने सात जुलाई को राज्य सरकार को आदेश दिया था कि इंटरनेट बैन आंशिक तौर पर हटा दिया जाए. इसके जवाब में राज्य सरकार ने याचिका दाखिल की थी.
सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में कुकी समुदाय के एक वकील ने दूसरे समुदाय पर हिंसा फैलाने का आरोप लगाया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस अदालत का इस्तेमाल तनाव भड़काने के लिए नहीं किया जा सकता. हम कानून और व्यवस्था अपने हाथ में नहीं ले सकते हैं. सुरक्षा निश्चित करना केंद्र और राज्य की जिम्मेदारी है. अदालत ने कहा कि हम अधिकारियों को हालात बेहतर बनाने के निर्देश दे सकते हैं. इस मसले पर मणिपुर के विभिन्न समुदायों के लोग हमें सकारात्मक सुझाव दें.
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पश्चिमी कंगपोकपी में एक पुलिस कर्मी की मौत, 10 घायल
उधर, खबर है कि मणिपुर के पश्चिमी कंगपोकपी इलाके में रात भर हिंसक झड़पें जारी रहीं. इसके बाद सोमवार को एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई और कम से कम 10 लोग घायल हो गए. उन्होंने बताया कि तड़के तीन बजे से सुबह छह बजे के बीच कुछ देर के लिए शांति रही, लेकिन उसके बाद फेयेंग और सिंगदा गांवों से अंधाधुंध गोलीबारी की आवाजें सुनाई दीं. अधिकारियों ने बताया कि गोलीबारी कंगपोकपी जिले के कांगचुप इलाके के गांवों और पहाड़ियों को निशाना बनाकर की गई. असम राइफल्स दोनों गांवों के बीच एक ‘बफर जोन’ का प्रबंधन करती है. अधिकारियों ने दोनों पक्षों के और अधिक लोगों के हताहत होने की आशंका से इनकार नहीं किया है.