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देश के वो बहुचर्चित केस जिन्हें सुलझाने में नाकाम रही CBI

CBI ने देश के कई अहम मामले निपटाए हैं लेकिन कुछ जाने-माने मामले ऐसे भी हैं जिनमें सीबीआई आरोपियों का जुर्म साबित करने में नाकाम रही

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput Case) की मौत के मामले में कौन जांच करेगा इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने मामले की जांच का अधिकार सीबीआई को दिया है जो पहले से ही इसकी जांच में जुटी थी. अब CBI ही इस पूरे मामले की जांच करेगी. वहीं सुशांत सिंह राजपूत मामले में सीबीआई ने कहा, अब आगे की जांच की जाएगी. सीबीआई ने देश के कई अहम मामले निपटाए हैं लेकिन कुछ जाने-माने मामले ऐसे भी हैं जिनमें सीबीआई आरोपियों का जुर्म साबित करने में नाकाम रही. आइए जानें वो मामले जहां सीबीआई नाकाम साबित हुई.

आरूषि हेमराज हत्याकाण्ड

आरूषि हेमराज हत्याकाण्ड देश का सबसे जघन्य और रहस्यमयी हत्याकांड था. अब इस हत्याकांड को 12 साल हो गए, लेकिन अब भी इस पूरे मामले की गुत्थी नहीं सुलझाई जा सकी है. यह केस अभी तक अनसुलझा है. उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने आरूषि हेमराज हत्याकांड के पूरे मामले को सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई ने जांच शुरू की और हत्या के सिलसिले में सीबीआई ने राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया.5 साल बाद साल 2013 में गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत ने राजेश-नुपूर को उम्र कैद की सजा सुनाई. वहीं दूसरी तरफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि, सीबीआई जांच में कई तरह की खामियां हैं.

एयरसेल-मैक्सिस घोटाला 

एयरसेल-मैक्सिस: साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से इस बात की जांच करने के लिए कहा कि क्या उस वक्त टेलीकॉम मंत्री दयानिधि मारन ने मलेशिया की कंपनी मैनिस के हाथों एयरसेल के अधिग्रहण में रिश्वत ली थी. सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 2017 में मंत्री, उनके भाई कलानिधि मारन और कई अन्यों के खिलाफ सभी आरोप रद्द कर दिए.

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में सीबीआई जांच हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के रेडार पर आयी थी. सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि जांच में अभी तक कुछ खास प्रगति नहीं हुई है और यह ‘अंतहीन’ हो सकती है.

बोफोर्स घोटाला

अप्रैल, 1987 में ये आरोप लगाया कि स्वीडिश हथियार निर्माता कंपनी एबी बोफोर्स ने भारतीय सेना को होवित्जर तोपों की सप्लाई करने का 1,437 करोड़ रु. का ठेका हासिल करने के लिए भारतीय सियासतदानों और रक्षा कर्मियों को घूस दी थी. मालूम हो कि बोफोर्स तोपों का सौदा 1986 में हुआ था और इस सौदे को 1437 करोड़ रुपये आंका गया था. 19 साल तक अदालत में मामला चलाने के बाद 2009 में सीबीआई ने क्वात्रोची पर चल रहा मामला बंद करने की सिफारिश की थी.

Posted BY : Rajat Kumar

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